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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 24 Jun 2024 5:03 PM |   692 views

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कुशीनगर में चार LADC हुए नियुक्त

कुशीनगर-1. विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के प्रावधानों के अन्तर्गत कारागार में निरुद्घ  बंदीगण एवं धारा 12  के अन्तर्गत वर्णित उपबन्धों में आच्छादित होने वाले व्यक्तियों को  निःशुल्क विधिक सहायता की सुविधा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, कुशीनगर द्वारा प्रदान  की जा रही है।
2. इसी अधिनियम के अन्तर्गत विधिक सहायता एवं परामर्श प्रणाली कार्यरत है, जिसका  उद्देश्य जनपद कुशीनगर में लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल LADC के माध्यम से अपराधिक  मामलों में पीड़ित व्यक्ति को पूर्णतः निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करता है।
3. इस प्रणाली की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैंः-
(i)निःशुल्क विधिक सहायता की निर्धनतम व्यक्ति तक उपलब्धता।
(ii)पैरा लीगल वालंटियर के माध्यम से दूर-दराज के क्षेत्रों, ग्रामीण क्षेत्रों तथा अशिक्षित व्यक्तियों तक विधिक जागरूकता का प्रसार, जानकारी उपलब्ध कराना एवं सहायता करना।
(iii)विद्वान एवं अनुभवी, कुशल अधिवक्तागण की विधिक सहायता निःशुल्क प्रदान  
                 करना।
(iv)मामलों की अपील, जमानत प्रार्थना-पत्र, पुनरीक्षण इत्यादि जिला विधिक सेवा
                प्राधिकरण, कुशीनगर के माध्यम से माननीय उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति को  भेजना।
4. जनपद कुशीनगर के जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में वर्तमान समय में चार (04) LADC  नियुक्त हैं, जो माह जून 2024 से अत्यन्त ही प्रभावशाली ढंग से कार्यरत हैं। वरिष्ठतम  विद्वान अधिवक्ता नरेन्द्र कुमार मिश्र, मोबाइल नं० 9450232101 मुख्य (चीफ) लीगल  एड डिफेन्स काउन्सिल हैं तथा विद्वान अधिवक्ता प्रवीण कुमार दूबे, मोबाइल नं०  9450470249 डिप्टी लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल हैं। विद्वान अधिवक्ता राकेश  कुमार मिश्र, मोबाइल नं० 9415777126 असिस्टेन्ट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल एवं कमर जहाँ, मोबाइल नं० 9627174886  असिस्टेन्ट लीगल एड डिफेन्स  काउन्सिल नियुक्त किये गये हैं।
 
5. LADC के विद्वान अधिवक्तागण के कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैंः-
(i)मामलों की पैरवी न्यायालय में करना।
(ii)कारागार का निरीक्षण करना एवं बंदियों की रिहार्इ कराना।
(iii)न्यायालयों में जमानत प्रार्थना-पत्रों को प्रस्तुत करना एवं बहस करना।
(iv)पत्रावलियों का पूर्णतः एवं अंतिम तौर पर निस्तारण करना।
(v)गिरफ्तारी पूर्व विधिक सहायता प्रदान करना।
(vi)रिमान्ड के स्तर पर जमानत प्रार्थना-पत्र प्रस्तुत करना एवं बहस करना।
(vii)विधिक परामर्श निःशुल्क प्रदान करना।
(viii)पूर्ण लगन, सत्यनिष्ठा एवं र्इमानदारी से निःशुल्क विधिक सहायता प्रदान करना तथा अधिकारों का संरक्षण करने हेतु पूर्णतः सजग रहना।
(ix)लीगल एड क्लीनिक करागार में संचालित करना। 
(x)कारागार में निरुद्घ बंदीगण को विधिक परामर्श एवं विधिक सहायता प्रदान करना।
(xi)निर्धन, अशिक्षित एवं पिछड़े लोगों, महिलाआें, बच्चों इत्यादि का प्रतिनिधित्व करते हुए विधिक सहायता प्रदान करना।
(xii)कारागार में निरुद्घ बंदियों को उनके अधिकार एवं उनकी स्वतंत्रता का बाेध अथवा ज्ञान कराना।
(xiii)पुनर्वास हेतु पात्र व्यक्तियों को पुनर्वासित करने हेतु सक्रिय प्रयास करते हुए उनका पुनर्वासन कराना एवं उनमें आत्मविश्वास का संचार करना।
  

 
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