महर्षि महेश योगी संस्थान के तत्त्वावधान में श्री रामकथा ज्ञान- यज्ञ का आयोजन किया गया

पाँचवें दिन अपने कथा- क्रम वक्तृता में सतीश सद्गुरु नाथ ने कहा कि पान के पत्ते का उसकी जड़ों से जुड़ाव बना रहा रहता है। उसका अपनी जड़ों के लगाव ही उसकी जीवंतता का कारक तत्त्व है। शायद मोबाइल आदि के पूर्व सोच इनमें छिपी रही होगी। यह मनुष्यता की मांगल्य का तर्क है कि वह क्षमा, करुणा व अच्छाई से सम्बद्ध रहे। जो मनुष्य सबके मंगल से जुड़ा है , वही परा से जुड़ा है। जितने ही बड़प्पन की ओर बढ़ते हैं उतनी ही आदमीयत की ओर बढ़ते हैं। यह कनेक्ट मनुष्यता का कनेक्ट है।

अजय प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि महर्षि महेश योगी ने राम दरबार की विशिष्ट कल्पना की थी। उनकी भावातीत ध्यान की दृष्टि व श्री राम के प्रति भाव अद्वितीय रहे हैं।
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