गोरखपुर के धुरियापार में स्थापित इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के सीबीजी प्लांट में होगी पराली की आपूर्ति

जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में देर सायं इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन तथा एफपीओ प्रतिनिधियों की उपस्थिति में पांच एफपीओ का चयन किया गया। पूर्वांचल पोल्ट्री प्रोड्यूसर कंपनी बरहज तहसील में, गौरीबाजार मशरूम प्रोड्यूसर कंपनी देवरिया तहसील में, जानकीनाथ कृष्णानंदन एग्रो फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी सलेमपुर तहसील में, आकर्षण प्रोडयूसर कंपनी भाटपाररानी तहसील में तथा ओम किसान फॉर्मर प्रोड्यूसर कंपनी रुद्रपुर तहसील में किसानों के खेतों से पराली एकत्र करेंगी।
इन एफपीओ को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए कृषि यंत्र एवं सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर योजना सहित विभिन्न योजनान्तर्गत 80 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। पराली एकत्र करने के कार्य में एफपीओ को बेलर, चॉपर, ट्रैक्टर, स्ट्रा रैक व ट्राली जैसे यंत्रों की आवश्यकता होगी। आईओसी 1700 रुपया प्रति टन की दर से पराली का भुगतान करेगा।
जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि पराली प्रबंधन शासन की प्राथमिकता का विषय है। फसल कटाई के बाद एफपीओ वैज्ञानिक विधि से किसानों के खेतों में जाकर पराली एकत्र करेंगे, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त होगी और भूमि की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी।
इस अवसर पर सीडीओ प्रत्यूष पांडेय, उप निदेशक कृषि, जिला कृषि अधिकारी मृत्युंजय कुमार, डीपीआरओ सर्वेश पांडेय, डिप्टी आरएमओ सुलभ आनन्द, पीओ नेडा गोविंद तिवारी, आईओसी के प्रतिनिधि प्रकाश चन्द्र गुप्ता, गुलशन कुमार सहित विभिन्न अधिकारी एवं एफपीओ प्रतिनिधि मौजूद थे।
आग लगाकर पराली का निस्तारण करना है दण्डनीय अपराध-
जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने बताया कि फसल कटाई के बाद खेत में पराली एवं डंठल जैसे अपशिष्ट का आग लगाकर निस्तारण करना दंडनीय अपराध है। इससे पर्यावरण एवं भूमि की उर्वरा शक्ति दोनों की क्षति होती है। यदि किसी गांव में कोई किसान पराली जलाते हुए पाया जाएगा तो 2 एकड़ क्षेत्र से कम पर ढाई हजार रुपया प्रतिघटना , दो से 5 एकड़ क्षेत्रफल पर पांच हजार रुपये प्रति घटना तथा 5 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल पर पंद्रह हजार रुपये प्रति घटना की दर से जुर्माना वसूलने का प्राविधान है।
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