Friday 28th of November 2025 08:18:06 AM

Breaking News
  • मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण को चुनौती सुप्रीमकोर्ट में 2 दिसम्बर को सुनवाई |
  • चाहे कुछ भी हो जाए ,बंगला नहीं छोड़ेंगे,राबड़ी देवी के सरकारी आवास पर RJD का कड़ा रुख |
  •  दिसम्बर में भारत लाया जा सकता है चोकसी ,बेल्जियम की अदालत में 9 तारीख को फैसला |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 7 Oct 2018 7:33 AM |   3149 views

शोषितों की आवाज थे रामनरेश कुशवाहा

राम नरेश जी का जन्म देवरिया जिले के लार उपनगर के कोइरी टोला निवासी बेनी माधव के घर  1929 मे  पैदा हुए |उनकी प्राथमिक शिक्षा गाँव से ही प्राप्त कर ,स्नातक साहित्य रत्न किया |इनकी पत्नी का नाम समराजी देवी था |उन्होंने पढाई के दौरान अंग्रेजो के खिलाफ आन्दोलन छेड दिया और कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर भारत छोड़ो आन्दोलन मे सक्रिय भूमिका निभाई |राम नरेश जी  ने कई विद्यालयों मे अध्यापन का काम भी किया जैसे -नौतनवा इंटर कॉलेज ,श्री सिंघेश्वरी इंटर कॉलेज तेतरी बाज़ार सिद्दार्थ नगर,पूर्व इंटर कालेज कडसरवा आदि , वे पूरी जिन्दगी समाज के अतिपिछडो और शोषितों की लड़ाई लड़ते रहे | 

जननायक रामनरेश जी मे शुरू से ही देश के लिए कुछ करने की तमन्ना रही |वे जुझारु प्रवृति के व्यक्ति थे, आपातकाल के दौरान वह देवरिया जेल मे 19 माह तक बंद रहे |पहली बार उन्होंने विधान सभा क्षेत्र सलेमपुर से सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के रूप मे 1957 मे चुनाव लडा ,इसी पार्टी से 1961मे भी चुनाव लडे , 1967 मे लोकसभा सलेमपुर के लिए प्रत्याशी बनाया और 1969 मे सीयर विधान सभा से प्रत्याशी बनाया गया लेकिन वह चुनाव नही जीत पाए |जनता पार्टी से उन्होंने 1977मे  लोकसभा का चुनाव सलेमपुर से लडा ,जिसमे सफलता मिल गयी |1982 मे राज्यसभा सदस्य चुने गये |इसके बाद वह चौधरी चरण सिंह की पार्टी मे शामिल हो गये और 1985 मे लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष तथा 1987 मे लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने |1998 मे वह समाजवादी पार्टी मे शामिल हो गये और 2005मे मुलायम सिंह की सरकार मे उन्हें सेनानी कल्याण परिषद् का चेयरमैन व कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला |

कुशवाहा जी का साहित्य से काफी लगाव था |उन्होंने कई पुस्तकों का लेखन भी किया |उन्होंने बटवारा (खण्ड काव्य ),कामचरित मानस ,खंड खंड पाखंड ,देवासुर संग्राम ,पूर्वांचल मे प्रथम स्वाधीनता संग्राम और सोहनपुर की लड़ाई ,पिछडो का  आरक्षण, कहीं पर निगाहे कहीं पर निशाना ,ई कुल खेलिया हम हू खेलब ,विकल्प ,रमदेइया, स्वाहा,समता की खोज मारे भवन त रोके कौन ,भीष्मप्रतिज्ञा तथा किसान मजदूर और सामाजिक समस्याओ पर लेखन किया | 

राजनीति का गुरु और कलम का यह सिपाही 7 अक्टूबर सन 2013 को इस संसार को अलविदा कह गया | 

Facebook Comments