Sunday 19th of May 2024 01:43:48 AM

Breaking News
  • PMO के अधिकारी मेरे उपर 24 घंटे नज़र रखते थे , केजरीवाल बोले – AAP एक पार्टी नहीं बल्कि एक परिवार है |
  • मै अमेठी का था , हूँ और रहूँगा , राहुल गाँधी बोले – बीजेपी ने यहाँ बहुत नुकसान किया |
  • टेक्सास में पुल से टकराई ईधन ले जा रही नौका , 2000 गैलन तेल गिरने की आशंका |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 11 Aug 2023 5:18 PM |   768 views

कैसे बचायें सब्जी और पपीता की फसल को वायरस से

पपीता, मिर्च, टमाटर मे लीफ कर्ल वायरस (TLCV) की वजह से पत्ते  चुड़ैमुडे से विभिन्न आकार मे कोढ से ग्रसित जैसे दिखाई देने लगते हैँ। हाल ही के कुछ वर्षों से दिखना शुरू हुई इनेशन लीफ कर्ल वायरस भी  इसमें से एक मुख्य रोग है।
 
भिंडी, सेम, लौकी करेले जैसी कुछेक बेल वर्गीय सब्जियों मे मोजैक वायरस (CMV) पत्तीयों पर पीले हरे चित्तकबरे से धब्बे रूप मे दिखाई देता है और भिंडी मे पूरा का पूरा पत्ता अपनी शिराओ को हरा या पीला रखते हुए हल्के पीले रंग मे परिवर्तित हो जाना पीला शिरा मोजैक वायरस (YVNV ) की प्रमुख निशानियां है।
 
इनमे से पर्याप्त प्रकाश संश्लेषण नहीं हो पाने से पौधे का विकास और फलतः फूल या फल बनाने के लिये आवश्यक पोषण मिलना बन्द हो जाता है. इसके परिणाम स्वरूप इन फसलों मे उत्पादन बुरी तरह कभी कभी 90% तक भी प्रभावित होता है।
रोगकारक और रोगवाहक –
इन सभी फसलों की ये सबसे मुख्य बिमारी है  जो कि सफेद मक्खी के रस चूसने और अन्य पौधोँ मे भी फैलाने से बढ़ती जाती है। रोग फैलाने वाले रोगकारक, जेमिनीवायरस परिवार के विषाणु हैँ।
उपाय-
1. सबसे पहले प्रभावित दिख रहे पौधों को अन्य पौधों से बचाते हुए खेत से दूर ले जाकर जमीन मे दबा दें या जला कर नष्ट कर दीजिये।
2. रोगवाहक कीड़े -सफेद मक्खी जो कि एक रस चूसने वाला कीट है, को रोकने के लिये कीटनाशक प्रयोग कीजिये।
3. किसी भी बीज पैकेट पर पीछे लिखी जानकरीयों को पढ़ें  अगर उसमे “TLCV, CMV, YVMV” शब्द लिखा दिखे तो ही ये किस्म उस वर्ग की सब्जी के विषाणु रोग के लिये सम्पूर्ण या कुछ हद तक प्रतिरोधी है। आपकी अपनी देशी हो या हाइब्रिड, प्रतिरोधी किस्म ही लगाइये।
4. सफेद मक्खी को रोकने के लिये क्यारियों के किनारों पर त्तेज बढ़ने वाली ऊँची  फसल  जैसे मक्का/स्वीट कॉर्न/बेबी कॉर्न, ज्वार, अरहर जैसी  ट्रैप फसलें लगाइये जिससे संक्रमण कम फैले।
5. पीले और नीले रंग के चिपचिपे बोर्ड प्रति एकड़ 10 या ज्यादा की संख्या मे लगाइये जिससे कि सफेद मक्खी और अन्य शत्रु कीट इनपर आकर्षित होकर फसल नुक्सान कम कर सकें।
6. इसी प्रकार पीले रंग के फूल जिनमे गेंदा मुख्य है कीट आकर्षक फसल रूप मे खेत के किनारे या मुख्य फसल की कुछ पंक्तियों बाद एक पंक्ति जरूर लगायें।
एक देशी उपाय –
   14लीटर पानी
    1लीटर दूध (देशी गाय का कच्चा A 2 टाईप दूध ) अथवा 250ml देशी गाय के दूध से बनी छाछ
   3-4ग्राम हींग
   1चम्मच हल्दी पाउडर
 
इस मिश्रण को पौधे लगाने के समय से हर 15दिन बाद पूरी फसल अवधि तक छिड़कते रहें।
 
विशेष :-
1. गर्मी के दिनों मे छाछ प्रयोग करने. से बचे अगर करनी हो तो मात्रा को 100-150 ग्राम प्रति 15 लीटर घोल के हिसाब से कम कर लें, इस स्थिति मे फूल आटे फसलों मे ज्यादा छाछ कि मात्रा नुकसानदेह देखी गयी है।
2. देशी गाय का दूध न मिले तो भैंस का भी ले सकते हैँ लेकिन किसी भी दशा मे जर्सी, फीजिशियन  गाय का दूध इस घोल मे कारगर नहीं है।
3. छिड़काव हमेशा रोग आने से पहले या आ चुके क्षेत्र मे रोग ग्रस्त भाग को हटाते हुए करें।
4. रोग ग्रसित हो चुके क्षेत्र मे छिड़काव कि अंतराल अवधि  7दिन तक कर दीजिये।
5. फसलों को पर्याप्त पोषण दें.
6. गर्मी और बारिश (जायद और खरीफ ऋतु ) मे इस बिमारी का प्रकोप ज्यादा रहता है, बचाव ही उपचार के तर्ज पर पहले ही छिड़काव सुनिश्चित रखें।
 
-डॉ. शुभम कुमार कुलश्रेष्ठ,विभागाध्यक्ष ,उद्यान विज्ञान
केंद्र समन्वयक -कृषि शोध केंद्र कृषि संकाय
रविंन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय रायसेन, मध्य प्रदेश |
Facebook Comments