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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 14 May 2023 7:33 PM |   972 views

मातृ दिवस

नेपोलियन बोनापार्ट का यह कथन विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि ” आप मुझे सौ सुशिक्षित माँ दे तो हम आपको एक सुशिक्षित व सम्पन्न राष्ट्र दे सकते है |पूरी दुनिया में मई माह के दूसरे रविवार को मातृ दिवस माताओं के प्रति सम्मान और प्रेम  प्रदर्शित करने के ध्येय से मनाया जाता है |

मातृ दिवस मनाने की शुरुआत सर्वप्रथम ग्रीस देश में हुई जहां देवताओं की माँ को पूजने का चलन शुरू हुआ | यह दिवस सम्पूर्ण मातृ शक्ति को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है |भारतीय संस्कृति में माँ के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा रही है | क्योंकि माँ शब्द में सम्पूर्ण सृष्टि का बोध होता है |पूरी जिन्दगी भी समर्पित कर दी जाए तो माँ के ऋण से उऋण नही हुआ जा सकता है |

माँ शब्द में वह आत्मीयता एवं मिठास छिपी होती है जो अन्य किसी शब्द में नही होती है | माँ नाम है – संवेदना , भावना और एहसास का | माँ के आगे सारे रिश्ते बौने पड़ जातें हैं |मातृत्व की छाया में माँ न केवल अपने बच्चों को सहेजती है बल्कि आवश्यकता पड़ने पर उसका सहारा बन जाती है |

परिवार यदि प्रथम पाठशाला है तो माँ उस पाठशाला की प्रथम शिक्षिका | प्रेम ,दया , करुणा व सहानुभूति आदि समस्त मानवोचित गुणों का विकास माँ के संरक्षण में ही होता है |

स्वामी विवेकानंद, कथा सम्राट मुंशी प्रेमचन्द, सुभाष चन्द्र बोस व महात्मा गांधी के व्यक्तित्व निर्माण में मातृ शक्ति का बड़ा योगदान रहा है |परन्तु आज के इस भौतिकवादी परिवेश में संयुक्त परिवार के विघटन व एकल परिवार के प्रचलन में हमारी वृद्ध माताओं की दशा बड़ी ही दयनीय हो गयी है |अपने परिवार व अपने परिवारजनों से उपेक्षित ये वृद्ध माताएं वृद्धाश्रमो में अपना अवशेष जीवन व्यतीत करने क अभिशप्त हैं | समाज के लोगों को इसके बारे में सोचना होगा | 

“पहले रोती थी माँ कि बच्चा रोटी नही खाता और अब रोती है कि बच्चा उन्हें रोटी नही देता” |   

  • मनोज ” मैथिल 
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