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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 5 Feb 2023 9:27 PM |   631 views

विश्व कैंसर दिवस

असाध्य बीमारी में शुमार कैंसर के प्रति लोगो में जागरूकता बढाने तथा इससे बचने के उपाय से आमजनों को अवगत कराने के उद्देश्य से पूरी दुनिया में 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है |

विश्व स्वास्थ्य संगठन की अधतन रिपोर्ट के अनुसार एक वर्ष में पूरी दुनिया में लगभग एक करोड़ लोग कैंसर से पीड़ित हो कर अपनी जान गवा चुकें हैं |इन मौतों में 70 प्रतिशत मौत निर्धन व भारत जैसे मध्यम आय वाले देशों में हुई है |भारत में 40 लाख कैंसर से पीड़ित हैं और इस जानलेवा बिमारी से हर साल लगभग साढ़े  चार लाख लोग अपनी जान गवातें हैं |

कैंसर दरअसल  शरीर की कोशिकाओं की असामान्य वृद्धि है |लगातार वजन घटना , बुखार का बना रहना ,भूख में लगातार कमी ,गले में खरास ,थूक में खून आना , किसी घाव का लगातार बने रहना , या सामान्य संक्रमण से बार – बार पीड़ित होना कैंसर के लक्षणों में है |महिलाओं के स्तन में गाँठ बनना भी कैंसर का कारक माना जाता है |कैंसर शारीर के हर अंग को प्रभावित कर सकता है |यहाँ तक कि आँख और दिल जैसे अंगों में भी कैंसर हो सकता हैं |मुह और गलें का कैंसर 60 प्रतिशत लोगों में होता है |

दूसरा कामन कैंसर फेफड़ों का कैंसर होता है |महिलाओं में ज्यादातर मामले ब्रैस्ट कैंसर व सरवईकल कैंसर के होते हैं | Indian Medical council Research  ( I.C. M.R.) के अनुसार पूर्वांचल में मुख कैंसर ( mouth cancer ) के मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि चिंताजनक है |

चिकित्सा विज्ञान शोध के अनुसार स्तन कैंसर 62 वर्ष , कोलोक्त्रोल कैंसर 67 वर्ष , फेफड़ों का कैंसर 71 वर्ष , प्रोस्टेट कैंसर 66 वर्ष , गर्भाशय का कैंसर 50 वर्ष , व अंडाशय का कैंसर 63 वर्ष के उम्र में होने की संभावना बनी रहती है | इसलिए व्यक्ति को समय पर सम्पूर्ण शरीर की जांच ( whole body check up  ) कराते रहना चाहिए | 

विटामिन D  की कमी  भी शरीर में कैंसर कोशिकाओं की अभिवृद्धि में सहायक होता है | इसकी कमी कैंसर को बढ़ावा देता है |कैंसर से बचाव हेतु 30 – 65 आयु वर की महिलाओं को सतर्कता बरतनी चाहिए |

इस वर्ष के 23 वे विश्व कैंसर दिवस का थीम है ” क्लोज डीद केयर गैप ” अर्थात बिना किसी भेद -भाव के कैंसर पीड़ित की समुचित रूप से देखभाल की जाए |कैंसर मुक्त विश्व के लिए एक सामान विचार वाले लोगो को जोड़ने और एक जुट होकर एक समग्र अभियान चलाने की आवश्यकता है | शैक्षिक पाठ्यक्रम में कैंसर शीर्षक को शामिल कर सेमीनार व वर्कशॉप के जरिये को प्रकृति सम्मत जीवन व्यतीत करने  हेतु प्रेरित करने की आवश्यकता है | कैंसर पीड़ितों के लिए स्पेशल motivational classes चलाकर प्रेरित करने की आवश्यकता है कि जब मनीषा कोइराला जैसी अभिनेत्री और युवराज सिंह जैसे क्रिकेटर कैंसर को मात दे सकतें हैं तो आप कैंसर पीड़ित भी सकारात्मक सोच , पौष्टिक आहार , योग , प्राणायाम से कैंसर को मात देकर स्वस्थ व संतुलित जीवन व्यतीत कर सकतें हैं |

गोरखपुर स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार कैंसर अस्पताल की वरिष्ठ कैंसर विशेषज्ञ डॉ पूनम गुप्ता के शब्दों में ” cancer शब्द में ही can है | अत:कैंसर पर जीत पायी जा सकती है |इसलिए कैंसर से डरें नही , इसके बारे में जाने |

  • मनोज मैथिल 
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