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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 14 Dec 2022 6:45 PM |   501 views

उ0प्र0 राज्य संग्रहालय लखनऊ में कला अभिरूचि पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया

लखनऊः राज्य संग्रहालय, लखनऊ द्वारा आयोजित कला अभिरूचि पाठ्यक्रम की श्रृंखला के अन्तर्गत आज उद्भव एवं विकासः प्रागैतिहासिक पृष्ठभूमि विषय पर मुख्य वक्ता डॉ० राकेश तिवारी, पूर्व महानिदेशक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा पावर प्वाइन्ट के माध्यम से रूचिकर व्याख्यान दिया गया।

डॉ० मीनाक्षी खेमका ने आज के मुख्य वक्ता के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आप कला, पुरातत्व एवं साहित्य विषय में विशिष्ट ज्ञान रखते है। भारतवर्ष में प्राचीनतम चावल की खोज का श्रेय भी डा0 तिवारी को है। इस श्रृंखला में प्रथमतः वक्ता ने बताया कि प्रकृति में सौन्दर्य है तथा सौन्दर्य बोध कला का एक भाग है।

इस प्रकार प्रकृति में निहित सौन्दर्य कला का व्यापक रूप है, परन्तु जो कौशल से बनाया जाये तथा जिसे अनुभव किया जा सके तथा जिसमें अभिव्यजंना हो वह कला है। पत्थर, लकड़ी एवं अस्थियों के उपरकणों के प्राचीनतम उदाहरण के विषय में विस्तार से समझाया तथा उस पर किये गये प्रतीकात्मक अंकन के विषय समझाते हुए भावभिव्यजंना, आस्था एवं विस्त्रास के विषय में बताया।

कला के क्रमिक विकास को बताते हुये मुहरों, अस्थि कला, आभूषण कला, शैलोत्कीर्ण कला, हाथ की छापें, वसस्तुकला, जिसके अन्तर्गत प्रारम्भिक झोपड़ियोंसे लेकर रॉक-कट आर्किटेक्चर, मन्दिर वास्तुकला, पात्र निर्माण कला, ताम्र उपकरण, मृण कला, नृत्य एवं वाद्यकला, इत्यादि के बारे में विस्तार से व्याख्या की।

साथ ही वक्ता द्वारा यह भी बताया गया कि प्रारम्भिक कलायें सामान्य या लोक कलाएं हैं, जिसमें समय के साथ सौदर्य-बोध का समावेश हुआ एवं कुछ मानकों को निर्धारित किया गया, जिसमें समय के साथ सौन्दर्य-बोध का समावेश हुआ एवं कुछ मानकों को निर्धारित किया गया, जिसका शास्त्रों में वर्णन मिलता है। षडंग के विषय में विस्तार से बताते हुये चित्रकला के मानक रूप भेद, प्रमाण, भाव, लावण्य-योजना, सादृश्य एंव वर्णिकाभंग की चर्चा की।

कार्यक्रम के अन्त में संग्रहालय के निदेशक डॉ० आनन्द कुमार सिंह ने वक्ता को धन्यवाद ज्ञापित करते हुये प्रश्नगत विषय के बारे में अपने विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम प्रभारी डॉ० मीनाक्षी खेमका, सहायक निदेशक ने कार्यकम से सम्बन्धित नियमों की जानकारी दी।

उक्त अवसर पर सुश्री तृप्ति राय, शारदा प्रसाद त्रिपाठी, डॉ० अनिता चौरसिया, धनन्जय कुमार राय, प्रमोद कुमार सिंह, अनुपमा सिंह, शालिनी श्रीवास्तव, गायत्री गुप्ता, नीना मिश्रा, बृजेश यादव, सुरेश कुमार, सत्यपाल एवं परवेज़ आदि उपस्थित रहे। 

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