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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 11 Oct 2022 6:19 PM |   332 views

संतुलित जीवन शैली को अपनाकर अर्थराइटिस से बचा सकते हैं जीवन

  •  जंक फूड का बढ़ता चलन दे रहा है मोटापा व गठिया को दावत |
संतकबीरनगर-जिला संयुक्‍त चिकित्‍सालय के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ सोहन स्‍वरुप शर्मा का कहना है कि मोटापे से गठिया (जोड़ो की सूजन) रोग अभिशाप बनता जा रहा है। जंक फूड काबढ़ता चलन मोटापे को बढ़ावा दे रहा है, जिसके चलते अब50 की उम्र से पहले ही गठिया कीसमस्या हो रही है।
 
जीवनशैली में सामान्य से अधिक आरामदायक बनना औरगलत तरीके से जोड़ों की गतिविधियां करना भी गठिया का कारण बन रहा है।आज हड्डी रोग विभाग में आने वाले मरीजों में से 20 से 30 प्रतिशत मरीज गठिया की समस्‍या को ही लेकर आ रहे हैं। अपनी जीवनशैली को संतुलित बनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। 
 
अर्थराइटिस यानी गठिया आज की बदलती जीवन शैली, मोटापा,गलत खानपान आदिवजहों से बुजुर्गों तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि युवा भी इसका शिकार होरहे हैं। अर्थराइटिस का सबसे अधिक प्रभाव घुटनों में और उसके बाद कुल्हे की हड्डियों पर पड़ता है। इससे बदन में दर्द और अकड़न महसूस होने लगती है।कभी -कभी उनके हाथों, कंधों और घुटने में सूजन और दर्द रहता है और उन्हें हाथ मिलाने में तकलीफ होती है। ऐसे लोगों को अर्थराइटिस की समस्या हो सकतीहै। गठिया के लिए प्रमुख कारणों में मोटापा सबसे ऊपर है।  
 
शरीर पर सामान्य से अधिक वजन जोड़ों में सूजन पैदा करता है। अर्थराइटिस जोड़ों की सूजन है। सौ से अधिक प्रकार के गठिया से लोग परेशान हो रहे हैं। सामान्य स्थिति में आस्टियो अर्थराइटिस 50 साल की उम्र के बाद होता है। यह शरीर पर निर्भर करता है कि जोड़ो को कितना और किस तरह से इस्तेमाल किया गया है।  इसके अलावा रुमेटाइड अर्थराइटिस में मरीज के शरीर के अंग अकड़ जाते हैं। इसमें महिलाओं में अधिक शिकायत होती है। इसी तरह यूरिक एसिड बढ़ने से भी गठिया (गाउट) की समस्या होती है। गठिया की शिकायत होने पर तुरंत डाक्टर कीसलाह लें। इसमें फिजियोथैरेपी को नजरअंदाज न करें। अगर किसी को कोई इस तरह की समस्‍या हो तो चिकित्‍सक के पास जाएं। झोला छाप डाक्‍टरों के पास कदापि न जाएं। इस रोग में मैगनीशियम, फोलिक एसिड, बीटा कैरोटिन आराम दिलाते हैं।
 
अर्थराइटिसकी समस्‍या से जूझ रही मड़या की 54 वर्षीया सुशीला देवी  बताती हैं कि उन्‍हें दो साल पहले यह रोग हुआ था। इसके बाद से वह नियमित जिला अस्‍पताल से दवा ले रही हैं। उन्‍हें बहुत राहत है। अब वह फालोअप के लिए आती हैं। दवा बन्‍द हो गयी है। चिकित्‍सक की सलाह पर पालक, हल्‍दी, लहसुन, विटामिन सी, पत्‍ता गोभी जैसी सब्जियों का सेवन करने के साथ व्‍यायाम भी कर रही हैं।
 
मोबाइल का अधिक इस्‍तेमाल भी खतरनाक-
अर्थराइटिस के लक्षण आमतौर पर बढ़ती उम्र के साथ विकसित होते हैं, लेकिन येअचानक भी समस्या बन सकते हैं। इसके अलावा गलत एंगल से अधिक देर तक झुककरकाम करना, सिर पर नियमित तौर पर वजन उठाना, झुककर कोई वजन उठाना,कंप्यूटरके सामने गलत तरीके से घंटों बैठे रहना, मोबाइल का अधिक इस्तेमाल करना, गर्दन झुकाकर घंटों काम करने से तो सर्वाइकल पैन होता है , गठिया की शिकायत होती है। 
 
कैसे करें बचाव-
1. रोजाना संतुलित आहार लें |
2. धूम्रपान और शराब का सेवन न करें, ये हड्डियों को कमजोर बनाता है |
3. साइकिलिंग से हड्डियों को मजबूत बनाएं |
3. स्वीमिंग को अपनाकर शरीर को तंदुरुस्त रखें |
4. जंक फूड से तौबा करें, रोजाना सैर करें |
 
गठिया को बढ़ा सकती है देसी मालिश- 
जिला अस्‍पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ शिव ओम भू बताते हैं कि अक्सर गठिया की समस्या होने पर लोग देसी मालिश का सहारालेते हैं। लेकिन ऐसी मालिश से जोड़ो के भीतर तक समय पर उचित इलाज नहीं मिलपाता है। जिससे दर्द और सूजन की समस्या बढ़ जाती है। यह बीमारी को बढ़ादेती है। इसलिए देशी मालिश के सहारे कतई न रहें।
 
 
 
डॉ सोहन स्‍वरुप शर्मा, हड्डी रोग विशेषज्ञ
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