Wednesday 5th of November 2025 07:03:38 AM

Breaking News
  • बिहार चुनाव -पहले चरण का प्रचार थमा ,121 सीटों पर 6 नवम्बर को मतदान|
  • बिलासपुर ट्रेन दुर्घटना-यात्री मालगाड़ी की भीषण टक्कर में 4 की मौत ,कई घायल |
  • बंगाल में अवैध रूप से रहने के आरोप में बांग्लादेशी ब्लॉगर गिरफ्तार,2018 में भारत आया था | 
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 7 Sep 2022 5:34 PM |   427 views

धान में कण्डुआ रोग से बचाने का अभी से करे उपाय

पौधे से बाली निकलने के समय धान की फसल पर बालियों  में कंडुआ रोग का असर  दिखने  लगता  है।  इस रोग के कारण धान के उत्पादन पर असर पड़ने की संभावना बनी रहती  है।

प्रसार्ड ट्रस्ट मल्हनी भाटपार रानी, देवरिया के निदेशक प्रोफेसर रवि प्रकाश मौर्य (सेवानिवृत्त वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ) ने धान की खेती करने वाले किसानों को अभी से कण्डुआ रोग से सावधान रहने की सलाह दी है।

उन्होंने बताया कि पूर्वांचल  में बिगत खरीफ में  धान की फसल  अधिकतर  कडुवा रोग से प्रभावित हो गयी थी।    धान की बालियों पर होने वाले रोग को आम बोलचाल की भाषा में लेढ़ा  रोग से किसान जानते है। वैसे अंग्रेजी में इस रोग को फाल्स स्मट और हिन्दी में कंडुआ रोग के नाम से जाना जाता है।

रोग लगने का समय-  यह रोग अक्तूबर माह के मध्य से नवंबर तक धान की अधिक उपज देने वाली प्रजातियों  में आता है।  जिस खेत में यूरिया का प्रयोग अधिक होता है, उस खेत में यह रोग प्रमुखता से आता है।साथ ही जब वातावरण में काफी नमी होती है, तब इस रोग का प्रकोप अधिक होता है।

रोग के लक्षण -धान की बालियों के निकलने पर इस रोग का लक्षण दिखाईं देने लगता है। रोग ग्रसित धान का चावल खाने पर स्वास्थ्य पर असर  पड़ता है   प्रभावित दानों के अंदर रोगजनक फफूंद अंडाशय को एक बडे कटुरुप में बदल देता है। बाद में जैतुनी हरे रंग के हो जाते है।इस रोग के प्रकोप से दाने कम बनते है और उपज में दस से पच्चीस प्रतिशत की कमी आ जाती है। 

प्रबंधन-कंडुआ रोग से बचने हेतु सबसे अच्छा है कि रोग ग्रसित बीजों को बोने में प्रयोग न करें।नर्सरी डालने के समय कार्बेन्डाजिम-50 डब्ल्यू.पी. दो ग्राम या दो  ग्राम थीरम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित  करें ।

उर्वरकों का प्रयोग मृदा परीक्षण के आधार पर करें। विशेष  कर यूरिया की मात्रा आवश्यकता से अधिक न डालें।  इसके बाद भी  खेत मे रोग के लक्षण दिखाई देने पर कार्बेन्डाजिम  50डब्लू. पी. 2  ग्राम अथवा प्रोपिकोनाजोल-25डब्ल्यू़ पी़ 2 ग्राम प्रति लीटर   पानी मे घोल कर छिड़काव  करने से रोग से मुक्ति मिलेगी। रोग ग्रसित फसलों के बीज  की बुआई/रोपाई न करें।

Facebook Comments