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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 19 Aug 2022 10:22 AM |   379 views

प्रधानमंत्री सम्बोधन के क्रांतिकारी अर्थ

चाहे कोई किसी भी राजनीतिक नजरिए को लेकर चर्चा चले या उसका विरोध करें। पर इस बार के 76वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने तीन बातें ऐसी रखीं जो राष्ट्र और समाज के उत्थान, प्रगति और गौरव का आधार हैं और यदि सरकार और संगठन वास्तव में इन पर गंभीरता और बारीकी से शीघ्र अमल करते हैं तो निश्चय ही ये सही दिशा में  क्रांतिकारी कदम होंगे।
 
पहली जो सबसे महत्वपूर्ण बात उन्होंने रखी कि जिस देश में महिलाओं को देवी और मातृशक्ति के रूप में सर्वाधिक सम्मान देने की बात होती है उसी देश में महिलाओं के सामने अथवा उनकी अनुपस्थिति में अधिकांश ऐसी गालियां प्रयोग की जाती हैं जो उनके सम्मान को भारी ठेस पहुंचाती है तथा कोई भी स्वाभिमानी महिला उन्हें सुनना पसंद नहीं करेगी।
 
उन्होंने प्रश्न उठाया क्या आजादी के 75 वर्षों में देश में महिलाओं को यही उपलब्धि मिली है। बहुतेरे पुरुष महिलाओं को लक्ष्य कर बनाई गई गालियों का जोर-शोर से उपयोग करके अपने आप को अपनी मर्दानगी साबित कर समाज पर हावी का प्रयास करते हैं। फिल्मों के नए दौर ओटीटी कंटेंट ने इस प्रवृत्ति को अत्यधिक बढ़ावा दिया है और देश के युवाओं तथा बच्चों को इस प्रवृत्ति में शामिल कर परिवार व समाज के संस्कारों को बर्बाद है। इनके प्रभाव में श्रमिक वर्ग व मातहतों से काम लेते हेतु अनेक बार कठोर शब्दों का व्यवहार करना पड़ता है इस तर्क के बहाने बात-बात में अपशब्दों का व्यवहार करने वाले लोग कठोर शब्दों और महिलाओं को लक्ष्य कर बनाए गये अपब्दों में अन्तर का विवेक भूल चुके हैं।
 
इस तरह की गालियों के प्रयोग को रोकने हेतु अनुसूचित जाति/ जनजाति उत्पीड़न अधिनियम की भांति नारी उत्पीड़न अधिनियम की व्यवस्था भी होनी चाहिए। इसमें ऐसा प्रावधान होना चाहिए कि किसी महिला की उपस्थिति या अनुपस्थिति में भी स्पष्ट रूप से महिलाओं के लिए अपमानकारी अपशब्दों के प्रयोग पर न्यूनतम 3 माह और अधिकतम 1 वर्ष के कठोर सश्रम कारावास का प्रावधान हो। यदि गाली ऐसी है जिसको लेकर भ्रम है कि वह महिलाओं के लिए उपमान सूचक है अथवा नहीं तो उसमें स्थिति में केवल आर्थिक दंड दिया जा सकता है।
 
प्रधानमंत्री ने दूसरी बात भाई- भतीजावाद को समाप्त करने को लेकर और तीसरी बात भ्रष्टाचार को लेकर कहीं। यह बातें भी व्यवस्था को जड़ से खोखला करती हैं तथा दूसरे गंभीर अपराधों को प्रोत्साहित करती हैं।
 
अतः इनके लिए भी पर्याप्त प्रतिबंध, सटीक जांच व कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिए। इन सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है इन प्रवृत्तियों का पोषण और प्रयोग करने वाले अपने ही आस्तीन के सांपों को पहचानना और उनको हैसियत में लाना।
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