Monday 15th of September 2025 05:00:05 PM

Breaking News
  • हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाये |
  • ओली ने पद से हटने के बाद दिया पहला बयान ,बोले- भारत विरोधी रुख के कारण ही मेरा यह हाल हुआ |
  • अयोग्य 97 लाख वाहनों को कबाड़ में बदलने से मिलेगा 40,000 करोड़ रूपये जीएसटी- गडकरी |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 17 Aug 2022 6:39 PM |   1043 views

गेंदा फूल की खेती किसानो के लिए लाभप्रद है – प्रो.रविप्रकाश

गेंदा फूल को पूजा अर्चना के अलावा शादी-ब्याह, जन्म दिन, सरकारी एवं निजी संस्थानों में        आयोजित विभिन्न समारोहों के अवसर पर ,पंडाल, मंडप-द्वार तथा गाड़ी, सेज आदि सजाने एवं अतिथियों के स्वागतार्थ माला, बुके, फूलदान सजाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
 
गेंदा की खेती खरीफ ,रबी एवं जायद तीनों मौसम में की जाती है।  पूर्वांच्चल में गेंदा की खेती की काफी संभावनाएं है , बस यह ध्यान रखना है कि कब कौन सा त्योहार है? शादी के लग्न कब है ? ,धार्मिक आयोजन कब- कब होना है? इसको ध्यान में रख कर खेती की जाय तो ज्यादा लाभदायक होगा। 
 
गेंदा  के औषधीय गुण भी है, खुजली, दिनाय तथा फोड़ा में हरी पत्ती का रस लगाने पर रोगाणु रोधी का काम करती है।साधारण कटने पर पत्तियों को मसलकर लगाने से खून का बहना बन्द हो जाता है।
 
मृदा एवं खेत की तैयारी-  गेंदा की खेती के लिए दोमट, मटियार दोमट एवं बलुआर दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है।भूमि को समतल करने के बाद एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2-3 बार देशी हल या कल्टीवेटर से जुताई करके एवं पाटा चलाकर, मिट्टी को भुरभुरा बनाने एवं ककंड पत्थर आदि को चुनकर बाहर निकाल दें तथा सुविधानुसार उचित आकार की क्यारियाँ बना दें।
 
बीज/ नर्सरी/प्रसारण -गेंदा का प्रसारण बीज एवं कटिंग दोनों विधि से होता है इसके लिए 100 ग्राम बीज प्रति बीघा ( 2500 वर्ग मीटर / एक हैक्टेयर का चौथाई भाग ) में आवश्यकता होती है ,जो 100 वर्ग मीटर के बीज शैय्या में तैयार किया जाता है, बीज शैय्या में बीज की गहराई 1 सेमी. से अधिक नहीं होना चाहिए। जब कटिंग द्वारा गेंदा का प्रसारण किया जाता है उसमें ध्यान रखना चाहिए कि हमेशा कटिंग नये स्वस्थ्य  पौधे से लें जिसमें मात्र 1-2 फूल खिला हो, कटिंग का आकार 4 इंच (10 सेमी) लम्बा होना चाहिए। इस कटिंग पर रूटेक्स लगाकर बालू से भरे ट्रे में लगाना चाहिए। 20- 22 दिन बाद इसे खेत में रोपाई करना चाहिए। 
 
रोपाई का समय एवं दूरी –गेंदा फूल खरीफ, रबी, जायद तीनों सीजन में बाजार की मांग के अनुसार उगाया जाता है। लेकिन इसके लगाने का उपयुक्त समय सितम्बर-अक्टूबर है। विभिन्न मौसम में अलग-अलग दूरी पर गेंदा लगाया जाता है जो निम्न है–
खरीफ (जून से जुलाई) – 60 x 45 सेमी.
रबी (सितम्बर–अक्टूबर) – 45 x 45 सेमी.
जायद (फरवरी-मार्च) – 45 x 30 सेमी.
 
व्यवसायिक किस्में –पूसा नारंगी, पूसा वसन्ती एवं पूसा अर्पिता है।
 
खाद एवं उर्वरक- मृदा परीक्षण के आधार पर उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए। खेत की तैयारी से पहले 50  क्विंटल कम्पोस्ट प्रति बीघा की दर से मिट्टी में मिला दें । तत्पश्चात 33किग्रा. यूरिया ,125  किग्रा सिंगल सुपर फास्फेट एव 34 किग्रा  म्यूरेट आफ  पोटाश का प्रयोग प्रति बीघा  की दर से  खेत की अन्तिम जुताई के समय मिट्टी में मिला दें। 16.5 किग्रा यूरिया रोपाई के एक माह बाद तथा  इतनी ही मात्रा रोपाई के दो माह बाद  प्रयोग करें।
 
सिंचाई-खेत की नमी को देखते हुए 5-10 दिनों के अन्तराल पर गेंदा में सिंचाई करनी चाहिए। यदि वर्षा हो जाय तो सिंचाई नहीं करना चाहिए।
 
पिंचिंग- रोपाई के 30-40 दिन के अन्दर पौधे की मुख्य शाकीय कली को तोड़ देना चाहिए। इस क्रिया से यद्यपि फूल थोड़ा देर से आयेंगे, परन्तु प्रति पौधा फूलों की संख्या एवं ऊपज  में वृद्धि होती है।
 
निकाई-गुड़ाई एवं खरपतवार प्रबंधन-  लगभग 15-20 दिन पर आवश्यकतानुसार निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए। इससे भूमि में हवा का संचार ठीक संग से होता है एवं वांछित खरपतवार नष्ट हो जाते हैं। 
 
फूल की तोड़ाई- रोपाई के 60 से 70 दिन पर गेंदा में फूल आता है जो 90 से 100 दिनों तक आता रहता है। अतः फूल की तोड़ाई/ कटाई  साधारणतया सुबह या सायंकाल में की जाती है। फूल को थोड़ा डंठल के साथ तोड़ना/काटना  श्रेयस्कर होता है। फूल को कार्टून जिसमें चारों तरफ एवं नीचे में अखबार फैलाकर रखना चाहिए एवं ऊपर से फिर अखबार से ढँक कर कार्टून बन्द करना चाहिए।
 
पौध स्वास्थ्य प्रबंधनलीफ हापर, रेड स्पाइडर, इसे काफी नुकसान पहुँचाते हैं। इसके रोकथाम के लिए मैलाथियान 50 ई.सी. 2 मिली प्रति लीटर पानी मे घोल कर   छिड़काव करें।
 
उपज-गेंदा फूल की उपज उसकी देख भाल पर निर्भर करता है आम तौर पर 30 -35 कुन्टल फूल प्रति बीघा मिल जाते है।
Facebook Comments