नेचर लर्निंग से जिम्मेदार पर्यटक तैयार कर रहा विस्टाडोम सफारी-जयवीर सिंह
लखनऊ: उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड ने आज लखनऊ के गवर्नमेंट इंटर जुबिली कॉलेज के करीब 40 विद्यार्थियों को दुधवा की ‘विस्टाडोम ट्रेन सफारी’ का अनूठा अनुभव कराया। स्कूल की कक्षाओं से बाहर निकलकर विद्यार्थियों ने जंगलों की हरियाली, दुर्लभ वन्यजीवों को नजदीक से देखने और जिम्मेदार पर्यटन को करीब से समझा।उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि युवाओं को पर्यावरण अनुकूल यात्रा, नेचर लर्निंग और सस्टेनेबल टूरिज्म जैसी सोच से जोड़ने की यह पहल न सिर्फ प्रेरक है, बल्कि उन्हें जिम्मेदार पर्यटक बनने का सशक्त संदेश भी देती है।
मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड की ओर से आगे भी ऐसे नवाचार जारी रहेंगे। बाल दिवस पर स्कूली छात्रों को विस्टाडोम सफारी का विशेष अनुभव कराना इसी दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।
लखनऊ से बिछिया की प्रकृति यात्रा पर निकले बच्चों का समूह जैसे ही इंटरप्रिटेशन सेंटर पहुंचे, उनका रोमांच नए आयामों में बदल गया। जंगल की धरोहरों को करीब से जानने-समझने के बाद स्टेशन मास्टर की विशेष ब्रीफिंग ने यात्रा को और रोचक बना दिया, जिसमें बच्चों को रेल मार्ग के इतिहास, फॉरेस्ट कॉरिडोर में जिम्मेदार आचरण के नियमों और क्षेत्र की अद्भुत जैव-विविधता से परिचित कराया गया। प्रकृति और ज्ञान से भरे ये संवाद बच्चों के लिए इस पूरे सफर के सबसे अविस्मरणीय अनुभवों में दर्ज हो गए।तराई की प्राकृतिक सुंदरता को बेहद करीब से महसूस करते हुए विद्यार्थियों ने 11ः45 बजे बिछिया से पलिया कलां तक एक रोमांचक सफर की शुरुआत की। पारदर्शी शीशों और पैनोरमिक व्यू से लैस विशेष ट्रेन कोच में सवार बच्चों ने घने जंगलों, हरे-भरे घास के मैदानों, जलाशयों और विभिन्न प्रकार के वन्य जीवों के अद्भुत संसार को करीब से देखा।
यह यात्रा बिछिया (कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य के समीप) से शुरू होकर मैलानी दुधवा नेशनल पार्क के प्रवेश द्वार तक पहुंची। अभय कुमार तिवारी नामक छात्र ने बताया कि यह यात्रा उनके लिए यादगार रही।
यह यात्रा कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य की सीमा से होते हुए दुधवा नेशनल पार्क के प्रवेश क्षेत्र तक पहुंची। यह वन्य क्षेत्र बाघ, गैंडा, हाथी, बारहसिंघा, घड़ियाल सहित 450 से अधिक पक्षी-प्रजातियों के लिए प्रसिद्ध है। धीमी गति से चलती ट्रेन ने प्राकृतिक नजारों को सहेजने का भरपूर अवसर दिया। विस्टाडोम कोच के विशेष व्यूइंग ज़ोन से बच्चों ने वन गलियारों, घास वाले क्षेत्र और आर्द्रभूमि को करीब से देखा। यात्रा में साथ चल रहे शिक्षकों ने वन्यजीव व्यवहार, पक्षियों की आवाज और पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन पर महत्वपूर्ण जानकारियां छात्रों से साझा कीं।
वापसी के दौरान छात्र मोहित पाल और अंकित विश्वकर्मा ने अपने अनुभव साझा की। उन्होंने बताया कि पहली बार जंगल को इतने नजदीक से देखा। ऐसा लगा जैसे ट्रेन किसी तस्वीर के भीतर से गुजर रही हो। इस अवसर के लिए मैं उत्तर प्रदेश इको टूरिज्म विकास बोर्ड का बहुत आभारी हूं। उल्लेखनीय है, कि विस्टाडोम ट्रेन सेवा शनिवार और रविवार को संचालित होती है। इसीलिए छात्रों को बाल दिवस के मौके पर 15 नवंबर को भ्रमण कराया गया।
बच्चों में प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता और अनुभव आधारित सीख को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित दुधवा विस्टाडोम सफारी को लेकर पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि श्ऐसी पहल युवा पीढ़ी को किताबों से परे वास्तविक दुनिया से जुड़ने का अवसर देते हैं। विस्टाडोम ट्रेन सफारी इसी दृष्टिकोण को परिलक्षित करती है। इस यात्रा से मिली सीख, समझ और संवेदना बच्चों में प्रकृति के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी और उन्हें भविष्य के जिम्मेदार पर्यटक के रूप में तैयार करेगी।
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