लहसुन की खेती
लहसुन की खेती के लिए सबसे पहले खेत की अच्छी जुताई कर गोबर की खाद डालें, फिर लहसुन की कलियों का चुनाव करें और उन्हें बीज उपचारित कर अक्टूबर-नवंबर में सही दूरी पर लगाएं। सिंचाई, जल निकासी और खरपतवार नियंत्रण पर ध्यान दें, क्योंकि यह ठंडे और शुष्क मौसम की फसल है।
मिट्टी और खेत की तैयारी
मिट्टी का प्रकार:
लहसुन की खेती के लिए जीवांशयुक्त, हल्की दोमट से बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकासी अच्छी हो।
सिंचाई की व्यवस्था:
खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए क्योंकि लहसुन को अधिक पानी पसंद नहीं होता है।
खाद डालना:
खेत की 2-3 बार जुताई करके भुरभुरी बनाएं और आखिरी जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की सड़ी खाद मिलाएं।
बीज का चयन और बुवाई
बीज का चुनाव:
स्वस्थ और स्वस्थ कंदों से सबसे बड़ी, सबसे मजबूत कलियों का ही चयन करें।
बीज उपचार:
बुवाई से 24 घंटे पहले प्रति किलोग्राम बीज दर से 2.5 ग्राम थीरम या बेबिस्टीन से उपचारित करें।
बुवाई का समय:
लहसुन की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर माह तक है।
बुवाई की विधि:
कतार से कतार 15-20 सेमी और पौधे से पौधे 8-10 सेमी की दूरी पर लगाएं।
लहसुन की कलियों को 1-2 इंच गहराई में, नुकीला सिरा ऊपर की ओर रखते हुए रोपण करें।
सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
सिंचाई:
बुवाई के तुरंत बाद पहला पानी दें, और फिर फसल के बढ़ने के अनुसार आवश्यकतानुसार सिंचाई करें, लेकिन ध्यान रहे कि खेत में जलभराव न हो।
खरपतवार:
फसल के शुरुआती चरण में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए पैंडीमैथालीन जैसे खरपतवारनाशक का उपयोग कर सकते हैं।
कटाई और उपज
कटाई का समय:
जब लहसुन के पत्तों का निचला भाग पीला पड़ने लगे और सूख जाए, तो कटाई कर लेनी चाहिए।
औसत उपज:
सही तरीके से खेती करने पर प्रति एकड़ 30-50 क्विंटल तक उपज मिल सकती है।
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