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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 10 Sep 2025 4:33 PM |   82 views

आत्म हत्या क्यों

मानव अपने विकास के शिखर पर पहुंचकर इतिहास लिखने वाला है । किन्तु वर्तमान परिवेश में मानवीय संवेदनाएं शून्यता को ओर बढ़ रही हैं। भौतिक विकास की आंधी सभी सामाजिक मूल्यों को उडाकर ले जाने के लिए बैचैन है |सामजिक , आर्थिक , राजनैतिक और साहित्यिक मूल्यों में निरंतर गिरावट देखी जा रही है । परिणाम स्वरूप समाज में तमाम अराजकताएं फैल रही हैं । भौतिक विकास से संसार की दूरी तो कम हुई है अब पूरा विश्व एक आंगन जैसा प्रतीत होता है । 
 
परंतु मनुष्य से मनुष्य की मानसिक और आत्मीय दूरी बढ़ रही है । प्रेम , सहयोग , त्याग , सेवा , सहिष्णुता इतिहास के पन्ने होते जा रहे हैं । यह मानव समाज के लिए हितकर नहीं है । पारिवारिक संरचना टूट रही है ।मानव असामाजिक कार्यों में लगा हुआ है , इस कारण हत्या , आत्महत्या , लूट पाट जैसी घटनाएं प्रतिदिन हो रही हैं। 
 
व्यक्ति अब एकाकी हो चुका है , रिश्ते -नातों से दूर रहना चाहता है । अकेला होना आजकल के परिवेश में खुद को सफल बनाने की पहली योग्यता माना जाता है । जिसमें सबसे ज्यादा नौजवान और वृद्ध लोग शामिल हैं । जब व्यक्ति अकेले कमरे में बंद होकर रहने लगता है तो उसके सोचने समझने की शक्ति दिन प्रतिदिन क्षीण होने लगती है । समाज को तिरस्कृत कर वह व्यक्ति सफल हो जाता है किन्तु मानसिक रूप से अस्वस्थ भी हो जाता है । और जीवन में कोई समस्या आने पर वह व्यक्ति उसका निदान नहीं कर पाता जब आप समाज से दूर रहेंगे , कोई आपका अपना न होगा , तो आप अपने मन की व्यथा किससे कहेंगे ? कौन होगा ? आपको सुनने वाला और समस्याओं से निजात दिलाने वाला । फिर आप अकेले चिंतन मंथन करने लगते हैं । आप के मन में स्वयं के प्रति प्रेम न होकर खुद को हेय दृष्टि से देखने लगते हैं । फिर आप जीवन लीला समाप्ति की ओर सोचते है , नतीजा यह होता है कि आप के अंदर आत्म हत्या का विचार आता है । खुद को अकेला पाकर कोई भी व्यक्ति अपनी जीवन लीला समाप्त कर लेता है ।
 
हमारे देश हो नहीं पूरी दुनियां में अकेलेपन अवसाद और आत्म हत्या के मामले बढ़ रहे हैं। बल्कि यूं कहना ठीक होगा कि आत्महत्या एक महामारी का रूप धारण कर चुकी है । लोग कई वजहों से आत्म हत्या करते हैं । ऐसे में अगर उन्हें समय रहते दोस्त , परिवारजनों की मदद मिल जाए तो आत्म हत्या के मामलों को कम कर सकते हैं । अब भी दुनिया भर में हर साल आत्म हत्या के लगभग दस लाख लोग जान गवाते हैं । जो युद्ध या अन्य हिंसक मौतों का लगभग पचास प्रतिशत है । 
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर सौ में से एक मौत आत्म हत्या के कारण होती है । शायद यही वजह है कि दुनिया भर में आत्महत्याओं की बढ़ती संख्या को रोकने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए वर्ष 2003 से ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से अंतरराष्ट्रीय आत्म हत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता हैं । विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य आत्म हत्या के बारे में जागरूकता बढ़ाना और वैश्विक स्तर पर आत्म हत्या के प्रयासों की संख्या को कम करना है । आत्म हत्या को रोकने के कुछ तथ्यों को आपके समक्ष मै प्रस्तुत कर रहा हूं । आशा है कि आप सभी पाठकगण लाभान्वित होंगे । 
 
मानव जीवन के मूल्यों को किसी तराजू से तौलना संभव नहीं है। यह किसी एक व्यक्ति का निजी जीवन नहीं है । उससे जुड़ा होता है परिवार , समाज , संस्कृति और आने वाली पीढ़ियां। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार हर वर्ष लाखों लोग आत्म हत्या करते है और करोड़ों लोग प्रयास । यह आंकड़ा सिर्फ संख्या हो नहीं है बल्कि टूटे हुए परिवारों बिखरी हुई आशाओं , और अधूरी रह गई संभावनाओं का आईना है । मनुष्य का मन विचित्र है , वह अकेला नहीं रहना चाहता है उसकी मौलिक विशेषता यह है कि वह किसी न किसी व्यक्ति , विचार या वस्तु से जुड़ा रहता है । जब जीवन में सब कुछ अनुकूल होता है तब वह जुड़ाव प्रेरणा और शक्ति देता है । किन्तु जब कोई व्यक्ति अपने जीवन लक्ष्य में असफल होता है तब वह जुड़ाव हताशा और निराशा में बदल जाता है ।
 
आजकल समाज में ऑनर किलिंग , प्रेम प्रसंग , और विवाह विच्छेद की वजह से सबसे ज्यादा आत्म हत्याएं हो रही हैं। इसके कारण पर प्रकाश डालने पर पता चलता है कि ऐसा सिर्फ सामाजिक सोच न होने के कारण हो रहा है । माता पिता अपने बच्चों से इतनी ज्यादा अपेक्षाएं रखते हैं कि मेरा बेटा डॉ, इंजीनियर, IAS, IPS, बनेगा। आजकल तो एक चलन सा हो गया है कि बच्चों के हाईस्कूल , इंटर करते ही माता पिता अपने बच्चों को घर से दूर किसी कोचिंग संस्थान में प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी हेतु भेज देते हैं ।
 
वहां वह बच्चा प्रेम एवं वात्सल्य पूर्ण माहौल नहीं पाता है, उसका पढ़ने लिखने में मन नहीं लगता है और फिर वह एकाकी हो जाता है या तो किसी महिला मित्र के प्रेम प्रसंग में पड़ जाता है।
यह दोनों ही स्थितियां उसके लिए भयावह है। युवाओं में आत्म हत्या का सबसे बड़ा कारण यही देखा जा रहा है । क्योंकि बच्चों ने अपने जीवन के मूल्य को समझा ही नहीं है सिर्फ पेट पालने की सोच है , नौकरी कैसे मिल जाए ? इसी तथ्य को अपना जीवन समझ लिया है । जीवन अमूल्य है किसी दबाव में आप मत जिए । मानव जीवन सृष्टि की सबसे बड़ी रचना है इसे आप बर्बाद मत करिए ।
 
आत्म हत्या का एक बड़ा कारण है आर्थिक सुरक्षा और बेरोजगारी | आजतक मानव समाज ऐसी व्यवस्था नहीं बना पाया है जो हर व्यक्ति की उसकी योग्यता के अनुसार क्रय शक्ति और उसकी न्यूनतम आवश्यकता जैसे ( भोजन, वस्त्र , आवास ,शिक्षा, और स्वास्थ्य )की पूर्ति की गारंटी दे सके |समाज में सबको आत्मनिर्भर बनने का अवसर देना चाहिए और हर व्यक्ति को समाज से जुड़कर रहना चाहिए| ताकि किसी भी प्रकार की समस्या हो तो वह व्यक्ति उसका निदान कर सके न कि आत्महत्या |
 
 
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