निष्पक्ष प्रतिनिधि : एक निर्भीक, जनपक्षधर और वैचारिक पत्रकारिता

‘निष्पक्ष प्रतिनिधि ’ का नाम उसकी सबसे बड़ी पूँजी और वैचारिक प्रतिबद्धता का सूचक है। यह नाम केवल एक औपचारिक उपाधि नहीं, बल्कि इसकी पत्रकारिता-दृष्टि की घोषणा है। जब मीडिया का बड़ा हिस्सा बाज़ार और राजनीतिक प्रभावों से संचालित हो रहा है, ‘ निष्पक्ष प्रतिनिधि’ एक वैकल्पिक मंच बनकर उभरता है, जो किसी विचारधारा या दल विशेष के बजाय जनमत और जन-सरोकार को प्राथमिकता देता है। वह समाज के वंचित, उपेक्षित, ग्रामीण और असंगठित वर्गों की आवाज़ को केंद्र में लाने की कोशिश करता है।
स्थानीयता का वैश्विक बोध-
निष्पक्ष प्रतिनिधि’ की एक प्रमुख विशेषता इसकी स्थानीय पत्रकारिता में निहित वैश्विक दृष्टि है। यह अख़बार गाँवों, कस्बों, छोटे नगरों और सीमांत अंचलों की खबरों को वह महत्त्व देता है, जो सामान्यतः बड़े मीडिया हाउसों में उपेक्षित रह जाती हैं। स्थानीय समस्याएँ, सांस्कृतिक आयोजन, किसान आंदोलनों, ग्राम सभाओं, पंचायत-निर्णयों और क्षेत्रीय शिक्षा-स्वास्थ्य की खबरें इस अख़बार के पहले पृष्ठ पर जगह पाती हैं।
यह दृष्टिकोण न केवल लोकतंत्र को मज़बूत करता है, बल्कि ‘लोक की पत्रकारिता’ को भी नया सम्मान देता है। आज जब पत्रकारिता शहरी और अभिजात हो चली है, तब ‘ निष्पक्ष प्रतिनिधि’ का यह रुख एक नई संस्कृति को जन्म देता है।
विचार और विश्लेषण की उपस्थिति-
‘निष्पक्ष प्रतिनिधि ’ केवल घटनाओं को दर्ज नहीं करता; वह घटनाओं के भीतर के प्रवृत्तिशील विमर्श को भी सामने लाता है। इसके लेख, स्तंभ, संपादकीय और विशेषांक विश्लेषणात्मक होते हैं, जिनमें सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक विमर्शों की उपस्थिति रहती है। यह एक विचारशील पाठक-वर्ग तैयार करने की दिशा में अग्रसर है।
इसके विशेष आलेखों में विश्वविद्यालयों, शिक्षकों, स्वतंत्र लेखकों और जमीनी कार्यकर्ताओं की भागीदारी होती है, जिससे यह अख़बार एक जन-बौद्धिक मंच में परिवर्तित हो जाता है। यह विशेषता अन्य अख़बारों से इसे अलग बनाती है।
नवाचार और तकनीकी अनुकूलन-
हालाँकि निष्पक्ष प्रतिनिधि ’ का मूल स्वर ज़मीनी और मूल्यधर्मी है, परंतु यह तकनीक के क्षेत्र में भी उतना ही सजग और अनुकूल है। इसका डिजिटल संस्करण, पोर्टल, मोबाइल फ्रेंडली इंटरफ़ेस, त्वरित अपडेट्स, ई-पेपर सुविधा और सोशल मीडिया एकीकरण इसे नई पीढ़ी से जोड़ता है।
जहाँ कई क्षेत्रीय पत्र केवल मुद्रण पर निर्भर हैं, ‘दैनिक निष्पक्ष’ ने तकनीकी प्लेटफ़ॉर्म को संवाद का विस्तार मानते हुए उसे सशक्त माध्यम में बदला है। यह तकनीकी नवाचार और लोक चेतना का सुंदर समन्वय है।
साहित्य, संस्कृति और लोकधर्मी परिप्रेक्ष्य-
निष्पक्ष प्रतिनिधि की एक और सशक्त विशेषता है इसकी सांस्कृतिक चेतना। यह समाचार-पत्र लोक-भाषाओं, लोक-कला, साहित्य, जनगीत, पारंपरिक ज्ञान और संस्कृति की बात करता है। यहाँ भोजपुरी, मैथिली, मगही, अवधी आदि भाषाओं के कवियों, विचारकों और रचनाकारों को मंच मिलता है। यह केवल सांस्कृतिक समाचार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का कार्य है।
इसके माध्यम से लोक अपनी अभिव्यक्ति पाता है और परंपरा आधुनिक संवेदनशीलता में पुनःप्रस्तुत होती है। ‘ निष्पक्ष प्रतिनिधि’ संस्कृति को केवल उत्सवों में नहीं, जीवन के विचार और मूल्य के रूप में देखता है।
नारी-विमर्श और समावेशिता-
‘ निष्पक्ष प्रतिनिधि’ में स्त्री-स्वर को भी उचित स्थान मिलता है। स्त्रियों से जुड़ी सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक खबरें यहाँ संजीदगी से प्रकाशित की जाती हैं। इसके अलावा दलित, आदिवासी, दिव्यांग और एलजीबीटीक्यू समुदाय से संबंधित विषयों पर भी संतुलित और जागरूक लेखन होता है।
यह समावेशिता इसे लोकतांत्रिक पत्रकारिता का मजबूत उदाहरण बनाती है। इसके माध्यम से पत्रकारिता उस आवाज़ को भी मंच देती है, जो बहुधा मुख्यधारा में दबा दी जाती है।
जन-संवाद और भागीदारी की संस्कृति-
‘ निष्पक्ष प्रतिनिधि’ संवादात्मक पत्रकारिता का पक्षधर है। वह केवल सूचना नहीं देता, बल्कि प्रतिक्रिया आमंत्रित करता है। इसकी वेबसाइट और सोशल मीडिया हैंडल्स पर पाठकों की प्रतिक्रियाओं को प्रकाशित करने की परंपरा है। यह पाठकों और पत्रकारों के बीच द्विपक्षीय सेतु का कार्य करता है, जिससे यह एक जीवंत मंच बनता है।
नई पीढ़ी के लिए मंच-
‘ निष्पक्ष प्रतिनिधि’ नवोदित पत्रकारों, लेखकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों को अवसर देता है। ‘युवा कलम’, ‘नई दृष्टि’, ‘विविध वाणी’ जैसे खंडों के माध्यम से यह एक संवेदनशील और जागरूक युवा वर्ग को मंच देता है, जो पत्रकारिता में बदलाव का वाहक बन सकता है।
निष्पक्ष प्रतिनिधि’ पत्रकारिता के उस स्वप्न का पुनर्निर्माण है, जिसमें सच बोलने की ताक़त, जनता की पीड़ा को व्यक्त करने की ईमानदारी, और विवेक से सुसज्जित विचारशीलता होती है। यह न तो चटपटे समाचारों का मंच है, न ही केवल टीआरपी की दौड़ का हिस्सा। यह समाज के भीतर की हलचलों को समझने, समझाने और सहृदयता के साथ प्रस्तुत करने वाला एक सजग मंच है।
ऐसे में यह कहना अनुचित न होगा कि ‘ निष्पक्ष प्रतिनिधि ’ न केवल पत्रकारिता का एक प्रयास है, बल्कि एक नैतिक सांस्कृतिक अभियान भी है।
-प्रोफेसर रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’,पूर्व अध्यक्ष, हिन्दी विभाग,,नव नालंदा महाविहार सम विश्वविद्यालय,(संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार), नालंदा
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