Monday 8th of December 2025 01:28:24 PM

Breaking News
  • गोवा नाईट क्लब आग में 25 मौतों पर कांग्रेस का हंगामा ,मुख्यमंत्री सावंत के इस्तीफे की मांग |
  • आस्था सही पर राम पर टिप्पणी बर्दाश्त नहीं ,बाबरी मस्जिद की नीव पर धीरेन्द्र शास्त्री का बयान |
  • बेनिन में तख्तापलट की कोशिश नाकाम ,गृह मंत्री का ऐलान ,राष्ट्रपति टेलोन सुरक्षित |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 24 Mar 2025 7:59 PM |   240 views

उत्तर प्रदेश सिंधी अकादमी द्वारा ’’सिंध सपूत क्रान्तिकारी हेमू कालानी’’ विषय पर सम्पन्न हुई संगोष्ठी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सिन्धी अकादमी द्वारा शहीद हेमू कालानी के जन्म दिवस के उपलक्ष्य पर ’’सिंध सपूत क्रान्तिकारी हेमू कालानी’’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन सिंधु भवन, मवईया लखनऊ में किया गया।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम भगवान झूलेलाल जी की प्रतिमा पर अकादमी निदेशक अभिषेक कुमार ’अखिल’,  नानकचन्द लखमानी,  राजाराम भागवानी,  प्रकाश गोधवानी  दुनीचन्द, आदि ने माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया।

कार्यक्रम में सर्वप्रथम वक्ता लविका ने सिंध के सपूत हेमू कालानी के गुणों का वर्णन किया व हेमू कालानी की न्यायालय में अंग्रेज जज के साथ हुयी बहस का जीवन्त चित्रण किया।

कनिका गुरूनानी ने हेमूकालानी के बारे में विस्तार से बताया कि उनका जन्म अविभाजित भारत के सखर प्रान्त में 23 मार्च, 1923 को हुआ था। जब वे किशोर वयस्क अवस्था के थे तब उन्होंने अपने साथियों के साथ विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया और लोगों से स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करने का आग्रह किया। सन् 1942 में जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया तो हेमू इसमें कूद पड़े। 1942 में उन्हें यह गुप्त जानकारी मिली कि अंग्रेजी सेना हथियारों से भरी रेलगाड़ी रोहड़ी शहर से होकर गुजरेगी|

हेमू कालाणी अपने साथियों के साथ रेल पटरी को अस्त व्यस्त करने की योजना बनाई। वे यह सब कार्य अत्यंत गुप्त तरीके से कर रहे थे पर फिर भी वहां पर तैनात पुलिस कर्मियों की नजर उन पर पड़ी और उन्होंने हेमू कालाणी को गिरफ्तार कर लिया और उनके बाकी साथी फरार हो गए। हेमू कालाणी को कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई।

हेमू कालाणी अपने साथियों का नाम और पता बताये पर हेमू कालाणी ने यह शर्त अस्वीकार कर दी। 21 जनवरी 1943 को उन्हें फांसी की सजा दी गई। जब फांसी से पहले उनसे आखरी इच्छा पूछी गई तो उन्होंने भारतवर्ष में फिर से जन्म लेने की इच्छा जाहिर की। इन्कलाब जिंदाबाद और भारत माता की जय की घोषणा के साथ उन्होंने फांसी को स्वीकार किया।

कौमी तिरंगा लहराहे फड़ फड़ फड़।
अंग्रेजो की छाती धड़के धड़ धड़ धड़।।

दुनीचन्द ने बताया कि भारत वीरों की भूमि है और हेमू भी भारत का एक वीर था जिसे सारे भारत को गर्व है। कार्यक्रम संयोजक  प्रकाश गोधवानी ने हेमू कालानी की जिन्दादिली व निर्भयता का वर्णन किया और कविता पढ़ीः-
सूरी आहे सिंगार, असल आशकनि जो……….

अकादमी निदेशक अभिषेक कुमार अखिल ने बताया कि आज हेमू जैसे युवाओं की जानकारी पूरे देश में देना आवश्यक है ताकि सब उससे प्रेरणा ले सकें। हेमू जैसे वीरों की हर देश को जरूरत होती है। आज हम सबकों देश के विकास में मिलकर आगे बढ़़ने की जरूरत है।

कार्यक्रम में डॉ. हीरानंद, हरीश अडवानी, दीपक लालवानी, संतराम चंदवानी, पटेल दास, गीता, रवि यादव आदि उपस्थित थे। 

Facebook Comments