पूंजीवाद का अगला निशाना कृषि क्षेत्र है : हिमांशु कुमार

इस मौके पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि देश में पूंजीपतियों की मदद के लिए हमारी सरकार काम कर रही है। उसका एकमात्र काम देश के प्राकृतिक संसाधनों को पूंजीपतियों के हवाले करना है।
इसका प्रतिरोध करने वालों पर सरकार जुल्म ढा रही है। आदिवासी क्षेत्रों में प्राकृतिक संसाधन की खुली लूट के बाद पूंजीवाद का अगला निशाना हमारी खेती है। अब वे हमारे कृषि संसाधनों पर कब्जा करने के लिए वह सब करेंगे जो उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में किया। इस खतरे के प्रति लोगों को सचेत होना होगा।
उन्होंने कहा कि आज सत्ता हमसे प्राकृतिक व कृषि संसाधनों को छीनने के साथ-साथ हमारे रोजगार, और बचत भी छीन रही है। आज सरकारी नौकरियां खत्म की जा रही हैं। उद्योगों में भी स्थायी रोजगार के बजाय ठेके पर काम दिया जा रहा है। बैंकों में जमा हमार पैसा उद्योगपतियों के हवाले किया जा रहा है। इन मुद्दों पर हमारा ध्यान न जाए इसलिए नफरत की राजनीति की जा रही है और लोगों को आपस में बांटने व लड़ाने का काम किया जा रहा है। सरकार की इस साजिश को समझना होगा और इसके खिलाफ एकजुट होना होगा।
उन्होंने कहा कि साम्प्रदायिक ताकतें आज धर्म की इकहरी और संकीर्ण व्याख्या कर अपने देश के धर्म, विचार, दर्शन की बहुरंगी परम्परा पर हमला कर रही हैं। हमारे देश का आधार विविधता हैे और हमारी आजादी की लड़ाई इसी बुनियाद पर लड़ी गई थी।
हिमांशु कुमार ने विस्तार से छत्तीसगढ़ में दो दशक से अधिक समय तक अपने काम-काज के बारे में बताते हुए कहा कि जब उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा के लिए राज्य सत्ता द्वारा आदिवासियों के खिलाफ हिंसा, बेदखली का विरोध किया और लोगों को न्याय दिलाने के लिए न्यायिक प्रक्रिया अपनायी तो उनका आश्रम ध्वस्त कर दिया गया।
हिंसा के शिकार आदिवासियों को न्याय देने के बजाय उनकी जनहित याचिका को खारिज कर दिया गया और सुरक्षा बलों के कामकाज में रूकावट डालने के आरोप में उनके खिलाफ पांच लाख रूपए जुर्माना लगा दिया गया। हमने कहा कि संविधान हमें अन्याय का विरोध करने और इंसाफ के लिए लड़ने का अधिकाकर देता है। हमने अपने संवैधानिक अधिकार का पालन किया है इसलिए मैं जुर्माना नहीं दूंगा भले मुझे जेल जाना पड़े।
हिमांशु कुमार ने कहा कि गांधी सच के लिए साहस के साथ खड़े होने का नाम है। हम यही काम कर रहे हैं। अपनी यात्राओं के जरिए देश के असल सवालों पर लोगों से संवाद कर रहे हैं और नफरत की राजनीति के पीछे असली खेल को बेनकाब कर रहे हैं। देवरिया के 44 कम्युनिस्ट कार्यकर्ताओं को फर्जी तरीके से जेल में डाले जाने की घटना पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यहां नक्सलवाद का हवा खड़ा कर सीआरपीएफ को स्थापित करने के लिए आधार पैदा कर रही है।
इस अवसर पर राज्यसभा के पूर्व सांसद आस मोहम्मद अंसारी, पूर्व विधायक दीनानाथ कुशवाहा, कामरेड राजेश साहनी ,एडवोकेट आनंद प्रकाश चौरसिया, वरिष्ठ पत्रकार राघवेन्द्र दुबे, नित्यानंद त्रिपाठी, अरविंद गिरी, जिला पंचायत सदस्य रामनिवास पासवान, राष्ट्रीय समानता दल के संजय दीप कुशवाहा, जनार्दन शाही ,राजेश चौहान, किसान नेता शिवाजी राय, चीनी मिल चलाओ संघर्ष समिति के नेता बृजेंद्र मणि त्रिपाठी, बकरीदन, गौरी बाजार चीनी मिल आंदोलन के नेता ऋषिकेश यादव,राजेश मणि त्रिपाठी।
समान शिक्षा आंदोलन के नेता डॉ चतुरानन ओझा, कृष्ण बिहारी दुबे आज ने भी हिमांशु कुमार जी का स्वागत किया और सामाजिक सद्भावना पर बढ़ खतरे पर अपनी चिंता व्यक्त किया।
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