मेरा वतन
दुर्दिन तेरा आएगा
जब भी अपने छोड़ वतन तू
दुश्मन से मिल जाएगा ।
अपने वतन से कर गद्दारी
चैन कहां तू पाएगा
जो रिपु वतन से हाथ मिलाया
गर्दिश में मिल जाएगा ।
कोई साथ ना देगा तेरा
जब तू अश्रु बहाएगा
हंसेंगे रिपु भी तेरे ऊपर
जब खून के आंसू रोएगा ।
देशद्रोह का काम किया गर
घर में ही लज्जित होगा
बच्चे भी थूकेंगे तुझ पे
शर्म से तू मर जाएगा ।
संदेशा फिर क्या तू देगा
अपनी अगली पीढ़ी को
जो आस लिए आएंगे धरा पे
पर होंगे विवश मर जाने को ।
तेरी करतूत ना जीने देगी
तेरी अगली पीढ़ी को
कह गद्दार बुलाएंगे सब
तेरे बच्चे और बीबी को ।
करेंगे नफरत तुझी से बच्चे
कैसे तू जी पाएगा
अपने घर – परिवार के आगे
तू क्या मुंह दिखाएगा ।
तू ना इसको झेल सकेगा
होगा द्रवित हृदय तेरा
बिना मौत ही मौत मरेगा
जो ना सुधर तू पाएगा ।
अभी संभल जा वक्त के रहते
वरणा तू पछताएगा
बाद तेरे कुछ हाथ ना आए
मिट्टी में मिल जाएगा ।
संजुला सिंह “संजू “
जमशेदपुर
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