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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 26 Jan 2025 6:09 PM |   664 views

हमारा संविधान समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी देता है

भारत का गणतंत्र दिवस केवल एक तिथि नहीं है, न ही यह केवल औपचारिक झंडारोहण और परेड का अवसर है। यह भारतीय लोकतंत्र के विकास और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण का जीवंत प्रतीक है जो हमारे ऐतिहासिक संघर्षों, नैतिक मूल्यों और सामूहिक संकल्प की अभिव्यक्ति है। 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान का लागू होना न केवल एक राजनीतिक व्यवस्था की स्थापना थी, बल्कि यह भारतीय सभ्यता की आत्मा को एक नई दृष्टि, नई दिशा और नई ऊर्जा प्रदान करने का क्षण था। यह वह बिंदु था, जहां भारत ने अपने स्वतंत्रता संग्राम की अग्निपरीक्षा के बाद अपने सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक अस्तित्व को एक रूपरेखा दी।
 
गणतंत्र दिवस, स्वाभाविक रूप से, केवल उत्सव का दिन नहीं है; यह एक चिंतन का अवसर है। यह हमें स्मरण कराता है कि हमारा संविधान महज एक कानूनी दस्तावेज नहीं है बल्कि यह भारतीय समाज के हर पहलू—धार्मिक, भाषाई, आर्थिक और राजनीतिक—का गहन प्रतिबिंब है। यह विभिन्न परंपराओं, विचारधाराओं और भौगोलिक विविधताओं को एक सूत्र में पिरोने वाला अद्वितीय ग्रंथ है। इसका हर अनुच्छेद हमारे राष्ट्रीय चरित्र और हमारी प्राचीन सभ्यता की समग्रता का परिचायक है।
 
1950 में संविधान लागू होने से पूर्व का भारत, अपने औपनिवेशिक इतिहास में, शोषण, भेदभाव और दमन का शिकार था। यह संविधान उस पीड़ा का उत्तर था। यह उस संकल्प की गवाही था जिसमें गांधी, नेहरू, पटेल, अंबेडकर और अनगिनत अन्य नायकों ने भारत को केवल स्वतंत्रता ही नहीं बल्कि गरिमा, समानता और अधिकारों की पूर्णता देने का स्वप्न देखा था।
 
2025 का गणतंत्र दिवस एक विशेष संदर्भ में आता है। यह समय है जब भारत ने अपनी आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थिति को विश्व मंच पर मजबूती से स्थापित किया है। डिजिटल इंडिया के तहत प्रौद्योगिकी में क्रांति, अंतरिक्ष विज्ञान में चंद्रयान-3 जैसे उल्लेखनीय कदम, और आत्मनिर्भर भारत अभियान—ये सब केवल उपलब्धियां नहीं हैं, बल्कि यह संकेत हैं कि गणराज्य ने अपने आप को अपनी क्षमताओं के अनुरूप ढालना प्रारंभ कर दिया है। फिर भी, इन सफलताओं के बावजूद, यह दिन हमें उन चुनौतियों की भी याद दिलाता है जो आज भी हमारे समाज को विचलित कर रही हैं।
 
सामाजिक असमानता, जातिगत भेदभाव, सांप्रदायिकता और पर्यावरणीय संकट आज भी हमारी सामूहिक चेतना पर भारी हैं। गणतंत्र दिवस का अर्थ केवल राष्ट्र के अधिकारों का उत्सव नहीं है; यह हमारी जिम्मेदारियों का आह्वान भी है। हमारा संविधान समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी देता है, परंतु यह तभी संभव है जब प्रत्येक नागरिक अपने दायित्वों को समझे।
 
भारत की विविधता  तभी हमारी शक्ति बन सकती है, जब इसे एकता के सूत्र में बांधा जाए। गणतंत्र दिवस, इस संदर्भ में, केवल राष्ट्रीय राजधानी के राजपथ पर होने वाले समारोह का पर्याय नहीं है। यह वह अवसर है, जो हर गांव, हर कस्बे और हर नगर में उस मूल भावना को जीवित रखता है, जो हमारे राष्ट्र की आत्मा है।
 
युवा भारत की शक्ति और ऊर्जा इस गणतंत्र के सबसे महत्त्वपूर्ण आधार हैं। 2025 का यह पर्व, विशेष रूप से, उन युवाओं के लिए एक आह्वान है कि वे अपने अधिकारों के साथ-साथ अपनी जिम्मेदारियों को भी समझें। युवा वर्ग केवल वर्तमान का हिस्सा नहीं है; वे भविष्य के निर्माता हैं। उनकी सोच, उनका परिश्रम और उनकी प्रतिबद्धता ही भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।
 
गणतंत्र दिवस का महत्व केवल भारत तक सीमित नहीं है। यह दिन विश्व को यह दिखाने का अवसर है कि भारत एक प्राचीन सभ्यता और एक आधुनिक लोकतंत्र का अद्वितीय संगम है। यह दिन भारत की वैश्विक स्थिति को सुदृढ़ करता है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर उसके लोकतांत्रिक मूल्यों और सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन करता है।
 
इस पर्व के संदर्भ में, यह भी आवश्यक है कि हम यह समझें कि संविधान केवल अधिकारों का संरक्षक नहीं है; यह दायित्वों का संवाहक भी है। गरीबी, भ्रष्टाचार, और सामाजिक अन्याय जैसे मुद्दे तब तक समाप्त नहीं हो सकते, जब तक हर नागरिक अपने हिस्से का योगदान न दे। संविधान की मूल भावना तभी जीवंत रह सकती है, जब प्रत्येक भारतीय उसमें निहित मूल्यों को अपने जीवन का हिस्सा बनाए।
 
गणतंत्र दिवस न केवल हमारे अतीत का गौरव है, बल्कि यह भविष्य के लिए हमारी आकांक्षाओं और प्रयासों का भी प्रतीक है। यह वह अवसर है, जब हम आत्मावलोकन कर सकते हैं कि हम अपने संविधान के आदर्शों के प्रति कितने समर्पित हैं। यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी कमियों को पहचानें और उन्हें सुधारने का संकल्प लें।
 
2025 का यह गणतंत्र दिवस हमें यह याद दिलाने का अवसर है कि स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के मूल्य केवल शब्द नहीं हैं। वे हमारे समाज की नींव हैं। उन्हें बनाए रखना केवल सरकार का काम नहीं है; यह प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है।
 
गणतंत्र दिवस केवल एक दिन का उत्सव नहीं है। यह एक निरंतर प्रक्रिया है, जो हमें अपने समाज को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। यह पर्व हमारे लिए एक दर्पण है, जो हमें हमारे आदर्शों और हमारी वास्तविकताओं के बीच के अंतर को दिखाता है।
 
 2025 का गणतंत्र दिवस हमें अतीत की गौरवशाली उपलब्धियों, वर्तमान की जटिलताओं और भविष्य की अनंत संभावनाओं के बीच संतुलन स्थापित करने की प्रेरणा देता है। यह दिन हमारे लिए एक संकल्प है कि हम अपने देश को केवल एक गणराज्य नहीं, बल्कि एक ऐसा आदर्श समाज बनाएंगे, जहां हर नागरिक को गरिमा, समानता और स्वतंत्रता का अनुभव हो। यही इस पर्व की सच्ची महत्ता है।
 
–परिचय दास 
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