शास्त्री जी ने अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व से देश के राजनीतिक इतिहास में अमिट छाप छोड़ी है-सौरभ श्रीवास्तव
बनारस-लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय, रामनगर, वाराणसी में शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय, रामनगर, वाराणसी द्वारा भारतीय जन जागरण समिति, वाराणसी के सहयोग से पुष्पांजलि, संगोष्ठी, सुंदर काण्ड पाठ एवं दीपांजलि का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक कैन्ट सौरभ श्रीवास्तव ने शास्त्री जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन कर श्रद्धांजलि अर्पित की एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए विधायक सौरभ ने कहा कि “काशी और रामनगर के लाल, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, जय जवान : जय किसान के उद्घोषक, सादगी और साहस के प्रतीक, श्रद्धेय लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व से देश के राजनीतिक इतिहास में अमिट छाप छोड़ी है। उनका प्रधानमंत्रित्व काल हमेशा सुशासन एवं और राष्ट्रवाद के लिए जाना जाता है।
उनकी ईमानदारी और देशभक्ति हम सभी के लिए एक उदाहरण है।”
विधायक ने यह भी कहा कि हम लोग शास्त्री जी की जीवन यात्रा से बहुत कुछ सीख सकते हैं। उनकी जीवन यात्रा एक साधारण लड़के से देश के महान नेता और देश के प्रधानमंत्री बनने तक की यात्रा थी। इतने बड़े पद पर रहते हुए भी लालच उन्हें छू भी नहीं सका। शास्त्री जी ने 1920 में असहयोग आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया, और 1930 के नमक आंदोलन में जेल भी गए। 1965 के भयंकर अकाल और देश में भुखमरी की स्थिति को देखते हुए अपने प्रधानमंत्रित्व काल में शास्त्री जी ने देश में जोर शोर से हरित क्रांति के अभियान को बढ़ाया ।
देश को खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता में उनका योगदान अविस्मरणीय है। शास्त्री जी ने जय जवान जय किसान का नारा देकर देश के किसानों और जवानों को एक किया था। उनका एक प्रमुख नारा राष्ट्र देवो भव: भी था। उनका मानना था कि राष्ट्र देवता के समान है इसलिए राष्ट्र की सेवा देवता की पूजा है। राष्ट्र सेवा करते करते ही ताशकंद में आज ही के दिन शास्त्री जी ने अपने जीवन की अंतिम सांस की।
उनका जाना पूरे राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति था। हम सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए उनके जैसे सादगी और ईमानदारी से राष्ट्र सेवा करते रहें यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो श्रद्धानन्द ने कहा कि शास्त्री जी सुचिता पूर्ण राजनीति के संवाहक थे। जिन्होंने गरीबी निवारण के लिए कार्य किया। मुख्य वक्ता रामाशीष (राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, प्रज्ञा प्रवाह,वाराणसी) ने कहा कि शास्त्री जी सादगी, कर्मठता और साहस की प्रतिमूर्ति थे, उनके विचारों और स्मरणों से हमे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
वक्ता डॉ कुमुद रंजन, पूर्व विभागाध्यक्ष, समाजशास्त्र, वसन्त कन्या महाविद्यालय ने कहा कि शास्त्री जी ने अल्पकाल में युद्घ की विभीषिका के बावजूद जय जवान जय किसान के भाव से आप्लावित किया। मधुकर चित्रांश, भाजपा उपाध्यक्ष ने कहा कि राष्ट्र निर्माण में शास्त्री जी का योगदान अद्वितीय रहा है।
कार्यक्रम का संचालन डॉ सुजीत कुमार चौबे, अतिथियों का स्वागत संग्रहालयाध्यक्ष अमित कुमार द्विवेदी एवं आभार ज्ञापन मनोज श्रीवास्तव ने किया।
उक्त अवसर पर अवधेश दीक्षित, वीरेंद्र मौर्य, डॉ बी.एन. सिंह, आनंद कन्द चौबे, विनय मौर्या, शैलेश, महेंद्र, मनोज सहित बड़ी संख्या में जनमानस उपस्थित रहा।
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