बातें, जिंदगी के सफर की

हम इस दुनिया में अकेले ही आए हैं और हम सभी यह जानते हैं कि इस दुनिया से अलविदा भी हम अकेले ही होते हैं| तो जीते जी हम क्यों ना सीखें अकेले चलना ? गर लोग साथ हो लिए तो अच्छा जो नहीं साथ चले तो भी अच्छा। हर स्थिति अच्छी है | इसको समझाना ही हमारा अंदरूनी विकास होना है|
ऐसा देखा गया है की जरा सी परेशानी से हम, उस परेशानी से भागने लगते हैं। हम उस परेशानी का डटकर सामना नहीं करते ऐसा क्यों? हम उस परमशक्ति के बंदे हैं । भगवान ने हमें इतना सशक्त बनाकर इस जहां में उतारा है कि हम हर समस्या का सामना कर सके, हमें उन पर विश्वास होना चाहिए और हर परेशानी का डटकर सामना करना चाहिए।
गीतकार शैलेन्द्र ने बहुत सुंदर बात कही, ‘सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है, हमें उस खुदा के पास जाना है, उन्हीं का सामना करना है उन्हीं की सभा में पेशी होनी है हमारी तो इस जहां में झूठ क्यों बोले?
बस भलाई करते चलिए सब यहीं पर रह जाना है। भले ही जीवन में चुनौतियाँ और दुख हों, लेकिन हमेशा एक उज्जवल भविष्य की संभावना बनी रहती है। हमें ये ही विश्वास बनाए रखना हैं।
सवाल ये उठाता है कि, खुशी क्यों अक्सर क्षणभंगुर लगती है और क्यों जीवन हमारे साथ छल करता हुआ प्रतीत होता है ? जी हां! इसी का नाम ज़िंदगी, जो ये समझ गया वो तर गया|
अपने जीवन के पैटर्न का अवलोकन यदि हम करे और जीवन की यात्रा की कड़वी प्रकृति को समझना हो तो ये बात समझनी है कि सब कुछ बदल रहा है| कुछ स्थाई नहीं है ,जो चल रही है वह जिंदगी है “रुकना जिंदगी नहीं है” किसी व्यक्ति के प्रति उत्सुकता की भावना और साथ ही उनकी अनुपस्थिति के बारे में सूक्ष्म उदासी सब सामान्य स्थिति है। हमें विचलित नहीं होना है जीवन में सब सही हो रहा है|
कोई बात यदि परेशान कर रही है या किसी भारी सिचुएशन में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं तो भी चलते रहिए। जिंदगी- चलते रहने का नाम है।
ये ही जीवन का सफर है” रुक जाना नहीं तू कही हार के”
श्वेता मेहरोत्रा ,आकाशवाणी गोरखपुर।
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