चित्रकला प्रतियोगिता एवं पुरस्कार वितरण का आयोजन किया गया
झाँसी -आज राजकीय संग्रहालय, झॉसी एवं आर्टोजोन झॉसी के संयुक्त तत्वावधान में लोक कला विद् डॉ. मधु श्रीवास्तव की स्मृति में चित्रकला प्रतियोगिता एवं पुरस्कार वितरण का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. प्रमिला सिंह पूर्व विभागाध्यक्ष दृश्यकला महात्मा गॉधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविधालय, चित्रकूट रही, कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्वलन कर सरस्वती जी के चित्र पर माल्यार्पण कर किया गया।
चित्रकला प्रतियोगिता में विभिन्न स्कूलों के लगभग 250 छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। प्रतियोगिता में चित्र कला में मेरा गांव, नशामुक्ति एवं सामाजिक समस्याएं विषय दिया गया जिस पर छात्र-छात्रओं ने मनमोहक एवं विषय सारगर्भित सुन्दर चित्रों को ड्राइंग सीट पर उकेरा निर्णायक मण्डल ने विजेता प्रतिभागियों का चयन किया जिसमें-
1-जूनियर वर्ग- आर्यन कुशवाहा (सर एम0एल0 कॉनवेन्ट स्कूल) ने प्रथम पुरस्कार, दिव्या अग्रवाल (डी0पी0एस0 झॉसी) द्वितीय पुरस्कार, अंशु विश्वास (आर्मी पब्लिक स्कूल) ने तृतीय पुरस्कार एवं दिव्यांश झा (न्यू इरा पब्लिक स्कूल) सांत्वना पुरस्कार जूनियर वर्ग में प्राप्त किया।
2-सीनियर वर्ग- इसी तरह से सीनियर वर्ग में जिसमें प्रिंसी कुशवाहा (आदर्श इंण्टर कॉलेज झॉसी) ने प्रथम पुरस्कार, उत्कर्ष विश्वकर्मा (स्वामी विवेकानन्द कॉलेज ) द्वितीय पुरूष्कार, वैष्णवी कुश्वाहा (सरस्वती बालिका विद्यालय) ने तृतीय पुरूष्कार एवं अमुल्या सुहानी (राजकीय इण्टर कॉलेज झॉसी) ने सांत्वना पुरस्कार सीनियर वर्ग में प्राप्त किया।
3- वरिष्ठ सीनियर वर्ग- वरिष्ठ सीनियर वर्ग में अलाउद्दीन (बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी, झॉसी) ने प्रथम पुरस्कार, मुकेश प्रजापति (बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी, झॉसी) द्वितीय पुरस्कार, सबद खाबदी (बुन्देलखण्ड यूनिवर्शिटी, झॉसी) ने तृतीय पुरस्कार एवं विशाल (बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी, झॉसी) सांत्वना पुरूष्कार वरिष्ट सीनियर वर्ग में प्राप्त किया।
मुख्य अतिथि ने कहा कि राजकीय संग्रहालय झॉसी द्वारा इस तरह का आयोजन निश्चित रूप में कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देता है और इनके सम्वर्धन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने विजेता प्रतिभागियों एवं प्रतियोगिता में सम्मलित प्रतिभागियों का उत्साह वर्धन भी किया।
उप निदेशक डॉ0 मनोज कुमार गौतम ने कहा की यही नौनिहाल कल हमारी संस्कृति एवं विरासत के सम्वाहक बनेंगे और इस तरह के संस्कार एवं आयोजन इन बच्चों के मध्य होना चाहिए जिससे इनकेा अपनी संस्कृति के प्रति जड़ाव एवं लगाव बना रहे।

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