बुद्ध के विचारों पर आधारित साहित्यिक-सांस्कृतिक ‘चरथ भिक्खवे यात्रा’,15 से 25 अक्टूबर तक
बुद्ध के विचारों पर आधारित साहित्यिक-सांस्कृतिक ‘चरथ भिक्खवे यात्रा’, 15 से 25 अक्टूबर, 2024 तक आयोजित हो रही है। यह नालंदा में 16 अक्टूबर को पहुँचेगी। नव नालंदा महाविहार, नालंदा के हिन्दी विभाग के द्वारा संयुक्त तत्त्वावधान में नव नालंदा महाविहार में 11 बजे संगोष्ठी का आयोजन होगा।
इस यात्रा के नालंदा संयोजक तथा हिन्दी विभाग में प्रोफेसर प्रो. रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास ने बताया कि देश के महत्त्वपूर्ण साहित्यकार, विचारक, चिंतक इस यात्रा में भाग ले रहे हैं। यात्रा- क्रम में प्रो. सदानंद शाही ( संयोजक ), गगन गिल, रंजना अरगड़े , रणेंद्र, प्रेम रंजन अनिमेष, प्रकाश उदय, रमाशंकर सिंह, जाह्नवी सिंह, राम सुधार सिंह,विहाग वैभव , वन्दना शाही, भानु प्रताप सिंह , अंशुप्रिया , निरंजन यादव , पृथ्वीराज सिंह आदि नालंदा में भागीदारी करेंगे।
यात्रा में बीच बीच में अन्य जगहों से भी साहित्यकार , चिंतक सम्मिलित हो रहे हैं, उनमें प्रमुख हैं – अनामिका, अरुण कमल, विनय कुमार, जयंत सिंह तोमर, राजेश कुमार मल्ल, सुधीर प्रताप सिंह आदि। नालंदा में नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो. राजेश रंजन को आमंत्रित किया गया है।
आयोजन में महाविहार के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. हरे कृष्ण तिवारी, प्रो. रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ व सहायक आचार्य डॉ. अनुराग शर्मा का सान्निध्य रहेगा। यह साहित्यिक-सांस्कृतिक यात्रा भारत और नेपाल के पवित्र बौद्ध-परिपथ पर आधारित है। यह यात्रा उन रास्तों का अनुसरण करेगी, जिन पर भगवान बुद्ध ने अपने उपदेशों के माध्यम से करुणा, शांति, प्रेम और विश्वबंधुत्व का संदेश दिया था। इस यात्रा का नाम- ‘चरथ भिक्खवे’ भगवान बुद्ध के शाश्वत संदेश पर आधारित है।
बुद्ध का आह्वान ज्ञान, करुणा और संवाद के प्रसार का प्रतीक है। इस यात्रा का उद्देश्य प्रतिभागियों को बुद्ध की गहन शिक्षाओं से जोड़ना है, जिससे वे अहिंसा, प्रेम और सहानुभूति के सिद्धांतों को आत्मसात कर सकें। यह यात्रा एक सचल कार्यशाला के रूप में भी कार्य करेगी, जिसमें कवि, लेखक, कलाकार और विद्वान विभिन्न स्थलों पर संगोष्ठियों में भाग लेंगे, जिससे सांस्कृतिक संवाद और विचार-विमर्श को प्रोत्साहन मिलेगा।
यह यात्रा सारनाथ से आरम्भ होगी तथा बोध गया, नालंदा, राजगीर, वैशाली, केसरिया, कुशीनगर, लुम्बिनी, कपिलवस्तु, श्रावस्ती ,कौशाम्बी से होते हुए पुनः सारनाथ पर खत्म होगी।