वन्दना श्रीवास्तव द्वारा निर्मित श्री गणेश शृंखला
दिल्ली -जानी-मानी भोजपुरी चित्रकार वन्दना श्रीवास्तव ने श्री गणेश पर आधारित शृंखला में श्री गणेश की विभिन्न मुद्राओं पर केंद्रित पेंटिंग बनायी हैं।
इनमें लोकोन्मुखता , आंचलिक प्रभाव तथा अनुकूल रंगों का संयोजन मिलता है। इनके ये चित्र भोजपुरी समाजों के अतीत से होते हुए समकालीनता के विविध आयामों को समेटते हैं।
गणेश भगवान के बाल रूप, उनके सांगीतिक पक्ष, उनके मोदक, उनके मंगल के मनोविज्ञान को लक्ष्य रखते हुए वन्दना श्रीवास्तव ने एक नई दृष्टि के साथ गण के ईश को प्रस्तुत किया। उनमें निहित गणतांत्रिकता का भी प्रस्तुतीकरण किया है।
वन्दना श्रीवास्तव का जन्म जोधपुर , राजस्थान में हुआ। उनका मायका रिठिया, आज़मगढ़ व ससुराल ग्राम- रामपुर, देवलास, मऊ ( उत्तर प्रदेश ) में है। वे ग्रेटर नोयडा व नालंदा में रह कर कला सर्जना करती हैं। वे दिल्ली सरकार के कला-साहित्य परिषद की सदस्य रह चुकी हैं। उनके चित्रों की प्रदर्शनी अनेक स्थानों पर लग चुकी है।
उनके चित्र देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं यथा, अक्षर पर्व आदि में कवर पृष्ठ पर छप चुकी हैं। उनकी पेंटिंग साहित्य अकादमी की किताबों के कवर पर भी हैं।
उन्होंने म. गा. केन्द्रीय विश्वविद्यालय , मोतिहारी तथा द. बि. केन्द्रीय विश्वविद्यालय , गया में भोजपुरी कला पर व्याख्यान दिया है।
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