2015 के बाद भारत आए लोगों को सरकार करेगी निर्वासित- सीएम हिमंत बिस्वा
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बताया कि बंगाली हिंदू समुदाय के जो लोग राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर, एनआरसी में शामिल नहीं हैं, वे नागरिकता के लिए सीएए के तहत आवेदन नहीं करेंगे। हिमंत ने कहा राज्य से अब तक कुल आठ लोगों ने सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन किया है। इनमें से भी केवल दो लोगों ने ही अधिकारियों के साथ साक्षात्कार में हिस्सा लिया। सीएम सरमा ने कहा कि राज्य सरकार 2015 के बाद भारत आए सभी लोगों को निर्वासित करेगी।
प्रेस कांफे्रस के दौरान पूछे जाने पर कि क्या राज्य सरकार हिंदू-बंगालियों के खिलाफ विदेशी न्यायाधिकरण (एफटी) में दर्ज मामलों को वापस ले रही है, सरमा ने स्पष्ट किया, यह भ्रामक है। हम कोई भी मामला वापस नहीं ले सकते। हम केवल यह सलाह दे रहे हैं कि मामला शुरू करने से पहले, व्यक्तियों को सीएए पोर्टल के माध्यम से आवेदन करना चाहिए। यदि कोई मामला दर्ज भी होता है, तो कोई परिणाम नहीं होगा क्योंकि ये लोग नागरिकता के लिए पात्र हैं।
सीएम ने कहा कि वह महाधिवक्ता से सीएए के मुद्दे को उठाने का अनुरोध करेंगे ताकि एफटी उन लोगों को समय दे सके जिनके मामले चल रहे हैं ताकि वे नए लागू कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकें। उन्होंने कहा, मैं नागरिकता के मामलों पर फैसला करते समय अदालत को रुकने का निर्देश नहीं दे सकता। एफटी न्यायाधीशों को खुद ही फैसला करना होगा क्योंकि वे नवीनतम स्थिति जानते हैं।
हालांकि, सरमा ने स्वीकार किया कि जुलाई के पहले सप्ताह में गृह विभाग द्वारा असम पुलिस की सीमा शाखा को एक पत्र जारी किया गया था। पत्र में उन्हें निर्देश दिया गया था कि वे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई समुदायों के लोगों के मामलों को सीधे एफटी को न भेजें।
गृह एवं राजनीतिक सचिव पार्थ प्रतिम मजूमदार द्वारा विशेष पुलिस महानिदेशक (सीमा) को जारी पत्र में निर्देश दिया गया है कि ऐसे लोगों को नागरिकता पोर्टल के माध्यम से आवेदन करने की सलाह दी जानी चाहिए, ताकि उनके आवेदनों पर भारत सरकार द्वारा विचार किया जा सके।