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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 4 Jul 2024 2:33 PM |   99 views

वाह रे आज कल के नौजवान

कल मुझे अपने बचपन के मित्र के बहन की शादी में जाना था । मैं सुबह जल्दी जगा , नहा -धोकर सुबह आठ बजे तैयार हो गया । क्योंकि मुझे ट्रेन पकड़कर गोरखपुर जाना था । लेकिन पानी बरसने लगा ,कभी ख्याल आता कि न जाऊ,फिर सोचा दोस्त और उसके परिवार वाले मेरे बारे में क्या सोचेंगे? मेरा वादा जो था उनके कार्यक्रम में शिरकत करने का । फिर मैं बरसात खत्म होने का इंतजार करने लगा किंतु पानी कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था । 
 
11 बजे के आस -पास पानी गिरना बंद हुआ | मै झट से अपने भाई को बोला मुझे स्टेशन छोड़ दो , मुझे गोरखपुर जाना है । भाई ने गाड़ी स्टार्ट किया और दो मिनट में स्टेशन|  फिर ट्रेन आई और मैं ट्रेन में बैठ गया । मात्र 40 मिनट में गोरखपुर कैंट पहुंच गया । ट्रेन से उतरा तो फिर पानी बरसने लगा । स्टेशन प्लेटफॉर्म पर ही दो सिपाही मिले | उन्होंने पूछा साहब कहां जाना है इस बरसात में | मैने बताया दोस्त के बहन की शादी है | उसी कार्यक्रम में आया हूं । लेकिन आज तो बरसात ने परेशान कर दिया । 
 
सिपाहियो ने मुझसे सामाजिक मुद्दों पर बात-चित की । दोनों अच्छे थे । उनके विचार आधुनिक न होकर संस्कारिक थे । हम लोग दो घंटे तक बात -चित करते रहे और पानी भी बरसता रहा । 
 
फिर मैने सोचा कि मैं कार्यक्रम स्थल तक कैसे पहुंचू? मैने अपने दोस्त के भाई को कॉल किया कि आप कोई गाड़ी भेज दीजिए बरसात हो रही है , मुझे आने में समस्या है उन्होंने तुरंत जवाब दिया हा भैया क्यों नहीं बस दस मिनट में गाड़ी भेज रहा हूं । 
 
गाड़ी आ गई मै बैठकर कार्यक्रम स्थल पर पहुंचा । मेरे कई पुराने शुभ चिंतक मिले जिनसे में सोलह वर्ष बाद मिला । काफी पुरानी यादें ताजी हो गई । फिर साथ भोजन किया । बहन को आशीर्वाद दिया । और फिर घर जाना था मुझे तो फिर गाड़ी के ड्राइवर को बोला मुझे स्टेशन छोड़ दीजिए । ताकि मैं ट्रेन पकड़ कर देवरिया चला जाऊ । 
 
ड्राइवर भी आज्ञाकारी बच्चा था | तुरंत हा बोला और मुझे गोरखपुर स्टेशन लाकर छोड़ दिया । 
 
मैं वाराणसी इंटरसिटी एक्सप्रेस में देवरिया जाने के लिए बैठ गया थोड़ी देर बाद एक नौजवान जो मुझसे अपरिचित था । उसने मुझसे पूछा ” पानी बहुत बरस रहा है , मैं हा बोला । और चुप हो गया । 
 
थोड़ी देर बाद वह नौजवान फिर मुस्कुराते हुए कहा -अंकल पानी खेती के लिए जरूरी है इस समय मैने भी कहा “हा । 
फिर वह नौजवान बोला अंकल इस मौसम में खेत में कुछ लगाते है न ,पानी में घुसकर मैने कहा- धान की रोपाई करते है । 
 
नौजवान – धान की रोपाई से क्या  मिलता है? मैने कहा- चावल । 
 
फिर मैं उस भारतीय अपरिचित  नौजवान के चेहरे को गौर से  देखता रहा और मन में सोचता रहा , कहता रहा  -वाह रे आजकल के भारतीय नौजवान|
 
-राकेश मौर्य
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