अपनी मेहनत, शिक्षा व सोच से महिलाएं आगे बढ़ें’ – प्रो. परिचय दास
नालंदा के ग्राम चांडी में श्रमशील ग्रामीण महिलाओं के समूह को सम्बोधित करते हुए साहित्यकार , संपादक एवं नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय, नालंदा के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ. रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास’ ने कहा कि महिलाएं अपने परिवार, पति व बच्चे को प्यार और समर्थन तथा शिक्षा व मेहनत के आधार आगे बढ़ा सकती हैं। सही और गलत के बारे में महिलाएं समाज में जागृति ला सकती हैं तथा सभी को सर्वश्रेष्ठ करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं ।
प्रो. परिचय दास ने कहा कि महिलाओं को हर परिस्थिति में अपने को खड़ा रखना चाहिए। उन्हें अपना ख्याल रखना होगा। अपनी शिक्षा, रोज़गार व स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। शराब, गांजा, सिगरेट, ताड़ी आदि नशों से दूर रहना होगा। उन्हें आपस में एकता बना कर रखनी चाहिए तथा बुराइयों से दूर रहना चाहिए। विवेक व सम्मान से समाज में रहने के लिए यह ज़रूरी है। ध्यातव्य है कि यह महिला समूह अति वंचित वर्ग का है तथा इसके उन्नयन के प्रयत्न जारी हैं। आयोजन एस.ओ.एस. विलेज संस्था की ओर से किया गया था तथा महिलाओं को मार्गदर्शन देने व मनोबल बढ़ाने के लिए प्रो. परिचय दास को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।
प्रो. परिचय दास ने कहा कि बच्चों को शारीरिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। परिवार, पति , मां व बच्चों के स्वास्थ्य व खान-पान का ध्यान रखना ज़रूरी है ,साथ ही, उनके शारीरिक विकास का ध्यान रखना चाहिए। बच्चे के लिए स्वास्थ्यकर वातावरण प्रदान करना चाहिए। बच्चों को खेलों से परिचित एवं प्रशिक्षित करायें। बच्चों को स्वस्थ आदतें सिखायें। बच्चों की भाषा- कुशलता पर ध्यान दें। मानसिक सुरक्षा प्रदान करना आवश्यक है।
पढ़ना, लिखना, गणना करना सिखाना चाहिए। मानसिक खेलों से मस्तिष्क का विकास करें। सामाजिक प्रेम, दया, करुणा और लोगों को आदर करना सिखाएं। नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास पर भी ध्यान दें। परिवारी जन को बीमारियों स बचाए रखें और उनके स्वास्थ्य पर ध्यान दें। खाने-पीने, चलने और बात करने का सही तरीका सिखाएं। सड़क पर चलने का सही तरीका सीखें – सिखाएं और रोड-नियम बताएं। अपने बच्चों को मुश्किलों से लड़ना सिखाएं। इस अवसर पर महिलाओं ने नशा के विरुद्ध गायन भी किया।
एस.ओ.एस. विलेज संस्था , नालंदा के संयोजक श्री राजमणि ने कहा कि यह संस्था उन बच्चों व समूहों के लिए कार्य करती है जो हमारे समाज में विभिन्न कारणों से पीछे हो गये है जैसे कि आर्थिक स्थिति , माता पिता के संरक्षण का अभाव , उचित देखभाल इत्यादि।
एसओएस संस्था उन्हीं बच्चों को चिह्नित करके उनके लिए कार्य करती है। इस्क उद्देश्य उनके संपूर्ण विकास की ओर ध्यान देना होता है । सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पैरंटिंग स्किल की है। यह वह कौशल होता है जिससे बच्चे का सर्वांगीण विकास सम्भव होता है । स्किल से बच्चों व महिलाओं का भविष्य गढ़ा जा सकता है। छोटे छोटे कैम्प के माध्यम महिलाओं को जागरूक किया जा रहा है ।
प्रोफेसर परिचय दास ने उन्हें अपने जीवन में आत्मनिर्भर बनने के लिए कई उपाय बताए। जिस तरह से उन्होंने बच्चों के भविष्य को अच्छा बनाने के लिए उचित कदम उठाने के लिए उत्साहित किया वह महत्त्वपूर्ण है। सहायता व मेहनत से अब इस गाँव का हर परिवार आत्मनिर्भर होने की राह की ओर चल पड़ा है।
शोधछात्र शिशुपाल ने कहा कि महिलाओं को समाज से बहुत अधिक प्रभावित न रह कर अपने विकास के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।
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