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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 2 Aug 2023 6:32 PM |   271 views

बायोफ्लॉक मत्स्यपालन से दस हजार कृषकों को जोड़ा जाएगा: डीएम

देवरिया-जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने आज सदर तहसील स्थित मुड़ाडीह ग्राम पंचायत में स्थित बायोफ्लॉक विधि से मत्स्यपालन परियोजना का निरीक्षण किया। 
 

इस दौरान जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह ने कहा कि जनपद में मत्स्य पालन के लिए अनुकूल जलवायु उपलब्ध है। सभी 16 ब्लॉक जलसंपदा से परिपूर्ण हैं। जनपद में प्रति व्यक्ति मछली उपभोग काफी ज्यादा है, अभी इसकी पूर्ति अन्य राज्यों द्वारा की जा रही है। बायोफ्लॉक मत्स्य पालन की एक वैज्ञानिक विधि है, जिसमें कम समय एवं कम क्षेत्रफल में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जनपद के दस हजार कृषकों को बायोफ्लॉक मत्स्यपालन से जोड़ा जाएगा।

 
जनपद को मछली के आयातक से निर्यातक में बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि युवाओं और प्रगतिशील किसानों को बायोफ्लॉक मत्स्य पालन का प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाएगा। इससे उनकी आय में वृद्धि के साथ जनपद के पोषण स्तर में भी सुधार होगा।
 
बायोफ्लॉक परियोजना का प्रबंधन कर रहे अनिल कुमार ने जिलाधिकारी को बताया कि प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना के अंतर्गत उन्होंने गत वर्ष 0.100 हेक्टेयर भूमि पर बायोफ्लॉक विधि से मत्स्यपालन शुरू किया। परियोजना की कुल लागत 14 लाख रुपये है, जिसमें से 5.60 लाख रुपये अनुदान प्राप्त हुआ।
 
उन्होंने बताया कि इस विधि से मछली पालन कर वे पेंगेसियस मछली की वर्ष में दो पैदावार प्राप्त करते हैं। अभी पहले वर्ष में उन्होंने 16 कुंतल मछली का उत्पादन किया है। उन्होंने बताया कि बायोफ्लॉक तालाब से निकलने वाले पानी से अपने खेतों की सिंचाई भी की है। इस पानी में कई प्रकार के पोषक तत्व होते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हुई है। उनके खेत में धान के फसल की ग्रोथ अन्य से कहीं तेज हुई है। 
 
निरीक्षण के दौरान मुख्य विकास अधिकारी रवींद्र कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी मत्स्य पालक विकास अभिकरण नंदकिशोर सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।
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