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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 26 Jul 2023 6:06 PM |   411 views

रील्स के चक्कर में आप और हम

आजकल महिलाओं में सोशल मीडिया पर रील्स देखना और रील्स बनाना,  अपने सेल्फी खींच कर सोशल मीडिया पे पोस्ट करने का चलन बहुत चल निकला है। इस कार्य को करने में कितना नुकसान है उनका खुद का उनको नही पता है  | अभी हाल ही में संचार माध्यमो से जानकारी मिली कि मोबाइल देखने के चक्कर में एक बच्ची पानी के टब में डूबी |
 
कई सारे रील्स  सोशल मीडिया पर ऐसे दिख रहे है जिनमे नग्नता और फूहड़पन है | बेटा -बेटी , माता पिता सभी रील्स बनाने में मशगुल हैं , इनको यह नही पता कि ऐसा करके यह लोग भारतीय समाज , सभ्यता और संस्कृति का दोहन कर रहें है | आप जितना समय  लाइक और सब्सक्राइब के चक्कर में दे रहें है उस समय का सदुपयोग कर जीवन में बहुत अच्छे काम कर सकते है |  
 
रिल्स देखने और सेल्फी पर ध्यान केंद्रित करने में अत्यधिक समय बिताने से महिलाओं के लिए कई नुकसान हो सकते हैं, क्योंकि यह उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित कर सकता है और कुछ सोशल प्रेशर भी बनता है उन पर।  
 
रीलों के माध्यम से अंतहीन स्क्रॉलिंग और कई सेल्फी लेने में काफी समय बर्बाद हो सकता है जिसका उपयोग महिलाएं अनेकों गतिविधियों या अपने शौक के लिए उस समय का उपयोग बेहतर ढंग से कर सकती है।
 
सोशल मीडिया पर लगातार दूसरों की आदर्श और क्यूरेटेड छवियों को देखने से किसी को भी अपनी उपस्थिति के साथ तुलना करने पर असंतोष हो सकता है, जो शारीरिक छवि को नकारात्मक और अपने खुद के आत्मसम्मान में कमी की ओर ले जाने में योगदान देता है।
 
सोशल मीडिया अक्सर लोगों के जीवन के मुख्य पहलुओं को उजागर करता है, एक ऐसा माहौल बनाता है जहां महिलाएं अपने जीवन की तुलना दूसरों से कर सकती हैं, जिससे ‘हम किसी से कम नहीं’ वाली भावना पैदा होती है और उनके झूठ बोलने की प्रवृति बड़ती है। झूठ बोलना अपने आप में ही नकरात्मकता है।
 
ऐसे में साइबरबुलिंग का सामना करना पड़ता है, नकारात्मक टिप्पणियां, या सेल्फी पर सत्यापन की कमी एक महिला के आत्मविश्वास और भावनात्मक पहलू पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। इसके चलते महिलाओं के लिए अपनी प्राकृतिक उपस्थिति में सहज महसूस करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
 
सोशल मीडिया पर अत्यधिक समय बिताने से आमने-सामने की बातचीत कम हो जाती है, जो सार्थक कनेक्शन और रिश्ते बनाने के लिए आवश्यक है। ध्यान सारा इसपर लगा होता है किस किस ने लाइक किया उनकी पोस्ट को और उसी को अपना सच्चा दोस्त मानने की गलती करती है।
 
सोशल मीडिया पर बहुत अधिक व्यक्तिगत विवरण या तस्वीरें साझा करने से महिलाओं को गोपनीयता जोखिम और संभावित ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना भी करना पड़ता  है। पर जब बात समझ आती है तब तक देर हो चुकी होती है।
 
अध्ययनों में पाया गया कि चिंता, अवसाद और अकेलेपन की बढ़ती भावनाओं के लिए सोशल मीडिया ही जिम्मेदार है। सोशल मीडिया पर ध्यान केंद्रित करने से वह समय बर्बाद हो सकता है जो कैरियर विकास, शिक्षा, या शौक पूरा करने में खर्च किया जा सकता था।
 
महिलाओं (और सभी) के लिए यह आवश्यक है कि वे अपने सोशल मीडिया के उपयोग में एक स्वस्थ संतुलन बनाएं और इस बात का ध्यान रखें कि यह उनके समग्र कल्याण को कैसे प्रभावित करता है? संयम, वास्तविक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना और आत्म-प्रेम और आत्म-स्वीकृति को बढ़ावा देना अत्यधिक सोशल मीडिया सहभागिता से जुड़े कुछ नुकसानों को कम करने में मदद कर सकता है।
 
– श्वेता मेहरोत्रा 
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