जीवन
अपने जीवन में हम जो देते हैं वही मिलता है, जैसी जीवन के गीत हम गाते हैं वही चारों तरफ हमें वही गीत की बरसात होती है। हम जीवन में अपने मन में जो विचार बनाते हैं, जो हम देखना चाहते हैं, वह बीज फल के रूप में रूपांतरण होता है।
हम उस परमात्मा के ऊर्जा के बिना एक पल भी अकेले चल नहीं सकते, वही तो है जो भीतर बैठा है, साथ चल रहा है। अकेले तो हम सांस भी नहीं ले सकते, हमारे हृदय की धड़कन, हृदय भी तभी धड़कती जब उनकी मौजूदगी हो।
हमारे मन मंदिर में बैठा वही सांस है, वही धड़कन है, वही तो एक है जो भीतर मौजूद हर पल हमें जिंदादिली का एहसास दिलाता है।वह हर एक इंसान जो अकेले हैं, खुश है, आनंदित है, असल में वही इंसान कहलाने के योग्य है।
अगर किसी की खुशियां दूसरे पर निर्भर हो तो, आप अभी भी उसके गुलाम है। किसी दूसरे के बंधन में कैद हैं, पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं, स्वतंत्र नहीं हुए हैं। किसी दूसरे पर इतना भी आश्रित न हो कि वह आप की स्वतंत्रता को नष्ट कर, आपके मन को अशांत कर, पूरी तरह गुलाम कर दे।
अगर आपकी नजरें प्रकृति के हर जीव प्राणी के प्रति शुभ दृष्टि के विचार हैं, तो आप पर परमात्मा की हर पल के प्रेम की बरसात को महसूस कर रहे होते हैं।
हवा की हर तरंगों में पशु-पक्षीयों की आवाजों में, सूरज तारे नक्षत्रों में, हर जीव जंतु की आवाज में, वृक्षों के पत्तों में, हर रंगों में, हर रोशनी की किरणों से परमात्मा के हर क्षण की बरसात होती रहती है। हम सब हर जीव प्राणी एक भाई बहनों की तरह एक दूसरे से विश्व बंधुत्व से जुड़े हुए हैं। हम किसी भी जीव प्राणी से अलग हो ही नहीं सकते। हम सब एक थे, एक हैं, एक ही रहेंगे।
– सरिता प्रकाश , जर्मनी से
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