निराला जयंती पर वसंत- केंद्रित कविता पाठ का आयोजन किया गया

संजय कुमार सिन्हा, स्निग्धा सिंह, कुमारी सोनी, वर्षा कुमारी, हरेंद्र पांडेय, प्रभात आदि ने वसंत-केंद्रित कविताओं का कार्यक्रम में पाठ किया। इनमें वसंत- केंद्रित स्वरचित कविता के अतिरिक्त केदार नाथ अग्रवाल, नागार्जुन आदि की वसंत-कविताओं का भी पाठ किया गया। आरंभ में वसंत के अग्रदूत निराला को आदरांजलि दी गई।
प्रो. रवींद्र नाथ श्रीवास्तव ‘परिचय दास ‘,अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय, नालन्दा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की।
उन्होंने निराला की दो कविताओं – ‘हिंदी के सुमनों के प्रति पत्र ‘ तथा ‘ वर दे वीणा वादिनि, वर दे ‘ का पाठ किया। उन्होंने निराला के इस वाक्य को विशेष रूप से चिह्नित किया- ‘मैं ही वसंत का अग्रदूत’।
साहित्य का वसंत नवता के साथ निराला ने प्रस्तुत किया। निराला ने नई शिल्प दृष्टि, नई शब्दिता दी। वे सामान्य व्यक्ति की अभिव्यक्ति हैं। वे हिन्दी की छंद मुक्ति के प्रमुख आख्यायक हैं। व्यवस्था से अपेक्षा न करते हुए वे अपनी धुन में हाशिए के आदमी का गान करते रहे।
कार्यक्रम में नव नालन्दा महाविहार सम विश्वविद्यालय, नालंदा के शोध छात्र एवं एम. ए. के छात्र विशेष रूप से उपस्थित थे।
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