ठंड/पाले से शस्य और उद्यानिकी फसलों को बचाने के उपाय
उत्तर मध्य भारत मे दिसम्बर से शुरू होती सर्दी का मौसम अब बदलते जलवायु प्रभाव के बाद खिचड़ी जैसे त्योहार पर हमारे पूर्वजों की तरह महसूस किये गए समय अंतराल में खत्म नही बल्कि और बढ़ता जाता है।
उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा पंजाब जैसे प्रदेशों में तो जनवरी मध्य से फरवरी अन्त तक का मौसम कभी भी एक 20-25 दिन तक के बिना सूर्य प्रकाश पाये ओस और गलन के मौसम में बदलता जाता है जबकि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उड़ीसा, गुजरात, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्य इस ठंड से जल्दी पार पा लेते हैं। झारखण्ड के कुछ जिले इससे अपवाद हैं।
कारण-
पौधा में 82 से 95%तक द्रव्य रहता है। ठंड के प्रभाव से पौधों के जाइलम-फ्लोएम (पानी और पोषण पहुंचाने वाली नसे समझ लीजिये इन्हें) में जाता द्रव्य जमना शुरू हो जाता है जिसके कारण पौधों के हरेक भाग में इसके बुरे प्रभाव देखने को मिलते हैं।
इसके साथ ही कुछ विशेष बीमारी वाहक जिनमे फफूँद मुख्य है, सक्रिय हो जाती है जैसे- आलू का अगेती झुलसा करने वाली अल्टरनेरिया और पछेती झुलसा वाली फाइटोपथौरा फंगस।
पौधा पीला पड़ता, अलग अलग लक्षण दिखाता शीर्ष और पत्तों तनों से सड़ना शुरू होता है जिसका मुख्य प्रभाव उस पौधे के उत्पादन पर पड़ता है। इन सभी प्रभावों/लक्षणों को ही किसान “पाला मारना” या ठंड से पौधे मरना कहते हैं।
1. धूप न होने की लगातार स्थिति और 1-2मिमी ओस गिरने की दशा में हल्की सिंचाई और अच्छे सर्वांगी फफूंदनाशक का फसल पर 10 दिन के अंतराल में 2 बार छिड़काव।
2. अग्निहोत्र हवन का सुबह और शाम खेत के मध्य स्थित क्षेत्र में व्यवस्थापन।
3. देर शाम खेत के उत्तर पश्चिम दिशा में सूखे-हरे चारे, भूसे से धुएं की व्यवस्था।
4. देशी गाय का गौमूत्र इन ज्यादा ठंड होते दिनों में ही 1 लीटर प्रति/15लीटर पानी के साथ छिड़काव की हरेक 15 दिन अन्तराल पर व्यवस्था।
5. सल्फर धूल 8 से 10 किलो प्रति एकड़ की दर से भुरकाव |
6. अग्निहोत्र या देशी गाय के कंडो से बनी राख का भुरकाव |
7. थायो यूरिया 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव |
8. खेत के पश्चिम उत्तर दिशा में वायुरोधक तेज बढ़ते पेड़ों को व्यवस्थापन।
9. ज्यादा ओस गिरने की दशा में सुबह जूट या कपड़े की रस्सी के छोर पकड़े 2 किसान फसल के बगल ऐसे चलें कि पत्तों पर जमती ओस की बूंदे गिर जायें या रस्सी सोखती जाये।
-डॉ. शुभम कुमार कुलश्रेष्ठ ,विभागाध्यक्ष- उद्यान विज्ञान विभाग रवींद्रनाथ टैगोर विश्विद्यालय,रायसेन, मध्यप्रदेश
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