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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 30 Oct 2022 7:06 PM |   315 views

सूर्य उपासना का महापर्व छठ

बिहार के मुंगेर से शुरू होकर छठ महापर्व उत्तरप्रदेश के पूर्वांचल के साथ – साथ कमोवेश अन्य प्रान्तों में भी लोकपर्व के रूप में श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है |इस पर्व की तैयारी के साथ मनाने के लिए बिहार , उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार ने भी छठ पर्व को सार्वजनिक अवकाश की सूची  में सम्मिलित कर दिया है | अपनी मन्नतें पूरी होने पर कई मुस्लिम परिवारों की महिलाओं द्वारा भी पूरी श्रद्धा  व निष्ठा  से इस पर्व को मनाकर सांप्रदायिक सौहार्द का सन्देश दिया है कि आस्था ही सर्वोपरि है |

छठ व्रत रखने वाली महिलाओं ने शनिवार को रहने के बाद सांय काल श्रद्धापूर्वक खरना किया और प्रसाद के रूप में शाम को गुड और खीर ग्रहण किया | व्रती महिलाओं द्वारा छठी मईया का गीत गाते हुए ठेकुआ , खस्ता और चावल के आटे का लड्डू बनाया |

मिथिलांचल में चावल के इस लड्डू को भुसवा कहा जाता है | वंहा खरना में खीर  गुड , चावल और गाय के दूध में बनाकर अपने कुल देवता को अर्पित कर प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता है |

बाल्मीकि रामायण में यह उल्लेखित है कि जब भगवान् श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास काटकर अयोध्या लौटे तो ऋषि -मुनियों के परामर्श से शिवभक्त रावण के पाप से मुक्त होने के निम्मित राजसूय यज्ञ करने का निर्णय लिया | मुगदल ऋषि ने ही सर्वप्रथम श्रीराम चन्द्र व माता सीता को गंगा जल से पवित्र करते हुए कार्तिक मास  के शुक्ल पक्ष षष्टी तिथि को विधिपूर्वक सूर्यदेव की उपसना करने का निर्देश दिया | माता सीता ने मुंगेर में गंगा तट पर जिस जगह छठ किया था वहां आज सीताचरण मंदिर लोगो की आस्था का केंद्र है |जहां देश – विदेश से श्रद्धालु दर्शन पूजन के लिए आतें हैं | इस तरह त्रेतायुग में सीता तो द्वापरयुग में द्रौपदी ने छठ व्रत किया था |

लेखक – मनोज” मैथिल ”       

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