‘आयुष्मान’ का मिला सहारा तो पैरों पर खड़ी हुई नजीरुन्निशा
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आयुष्मान से 1.40 लाख में हुआ निजी हास्पिटल में कूल्हा प्रत्यारोपण |
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कूल्हे के प्रत्यारोपण के बाद अब सहज तरीके से कर रही जीवन यापन |

नजीरुन्निशा बताती हैं कि उनके कूल्हे की हड्डी वर्ष 2020 में टूट गयी थी। इसके बाद उसमें प्लेट डाली गयी थी। जिसके चलते वह एक बार फिर खड़ी हुईं। बाद में उसमें दर्द होना शुरु हुआ और चिकित्सक को दिखाया तो उसने बताया कि उसकी कूल्हे की हड्डी गली हुई है। अब उसका आपरेशन करवाकर कूल्हा प्रत्यारोपण करवाना पड़ेगा और इसमें डेढ़ लाख रु पए तक का खर्च आएगा। इतना खर्च उनका परिवार वहन नहीं कर सकता था। इसके बाद उन्हें गांव के ही एक व्यक्ति ने बताया कि सीएमओ कार्यालय में जाकर वह आयुष्मान कार्ड बनवा लें। उनके पति वसीउल्लाह बताते हैं कि वह आयुष्मान कार्ड बनवाने गए तो वहां पर उनसे डाक के जरिए मिले कार्ड के बारे में पूछा गया। उन्हें कोई पत्र नहीं मिला था। इसके बाद वहां पर मौजूद अधिकारियों ने उनके नाम और पते के आधार पर सूची में नाम देखा तो पता चला कि उनके परिवार का नाम सूची में है। इसके बाद परिवार के कुल 6 सदस्यों का आयुष्मान कार्ड बनवाया गया। इसके साथ ही आयुष्मान भारत योजना के डीजीएम सर्वेश द्विवेदी ने उन्हें सूचीबद्ध अस्पतालों की एक लिस्ट दी।
इसके बाद वह गांव के नजदीक स्थित सूचीबद्ध प्राइवेट हास्पिटल अशोका आर्थो हास्पिटल में गए तो वहां पर चिकित्सक डॉ अशोक चौधरी ने बताया कि उनका हास्पिटल आयुष्मान भारत योजना के तहत पंजीकृत है। उनके हास्पिटल में यह आपरेशन हो जाएगा। इसके बाद 28 जुलाई को डॉ अशोक चौधरी ने उनके कूल्हे का प्रत्यारोपण किया । आज वह सामान्य रुप से चलने में सक्षम हैं। नजीरुन्निशा बताती हैं कि अगर आयुष्मान भारत योजना नहीं होती तो उनका इलाज कभी नहीं हो पाया होता। यह योजना उनके लिए वरदान साबित हुई।
10586 लोगों को मिला है योजना से लाभ – डॉ जनमेजय सिंह

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