अधिनियम की मूल भावना के अनुसार हो आरटीआई आवेदनों का निस्तारण- सुभाष चंद्र

राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि अक्सर यह देखने में आता है कि जन सूचना अधिकार के तहत आने वाले आवेदन सही कार्यालय में नहीं पहुंचते है, जिससे सूचना मिलने में समस्या आती है। ऐसे आवेदनों का अंतरण 5 दिन की अवधि में संबंधित विभाग को कर देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यदि किसी अधिकारी या कर्मचारी का स्थानांतरण होता है तो उसे रिलीव करते समय आरटीआई के लंबित प्रकरणों की जानकारी अनिवार्य रूप से ली जाए। सूचना देते समय व्यापक लोकहित का ध्यान रखा जाए।
सूचना आयुक्त ने कहा कि राज्य सूचना आयोग में सुनवाई के दौरान जिम्मेदार अधिकारी स्वयं आने का प्रयास करें अथवा किसी ऐसे व्यक्ति को भेजें जिसे पूरे प्रकरण की जानकारी हो। इससे प्रकरणों के निस्तारण में सहायता मिलती है। उन्होंने कहा कि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्राविधानों के अनुसार 30 दिन के भीतर सूचना देना अनिवार्य है। समस्त कार्यालयों में जनसूचना अधिकारी नामित हो और उसका पदनाम पटल पर अंकित हो, जिससे आवेदकों को अनावश्यक भटकना न पड़े।
समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा (6/3 )के अंतर्गत जनपद देवरिया में कुल 521 आवेदन आए हैं जिसमें से 428 का निस्तारण कर दिया गया है। अवशेष जनसूचना प्रार्थना पत्रों की संख्या 93 है, जिनका शीघ्र निस्तारण कर लिया जाएगा। जिलाधिकारी ने राज्य सूचना आयुक्त को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा।
बैठक में मुख्य विकास अधिकारी रवींद्र कुमार, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) नागेंद्र कुमार सिंह, अपर जिलाधिकारी प्रशासन कुँवर पंकज, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व, कुशीनगर) देवीदयाल वर्मा, एसडीएम सौरभ सिंह, सीओ सिटी, पीडब्लूडी के अधिशासी अभियंता कमल किशोर, डीपीआरओ (कुशीनगर) अभय यादव सहित दोनों जनपदों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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