शांति पुंज की स्थापना का उद्देश्य मनुष्य का आंतरिक रूपांतरण- डॉ चिन्मय


उन्होंने कहा कि मानवता की दृष्टि से सबसे भयानक समय चल रहा है। मनुष्य अपनी आस्था, मनुष्यता संस्कृति आदि के साथ जीवन के उद्देश्य को भुलाकर बैठा है। घर और बटुए बड़े हो गए हैं किंतु परिवार और मनुष्यता छोटे होते जा रहे हैं। जिस शारिरिक सुख भोग के लिए मनुष्य दौड़ रहा है वह शरीर भी अब मनुष्य का साथ नहीं दे रही। बिमारिया गणना से अधिक हो गई हैं।
मन भी इतना अपवित्र हो गया है कि उसकी शुद्धता की कल्पना कठिन है। खुशियां कृत्रिम हो गई है। इसका कारण वातावरण का विषाक्त हो जाना है। प्रकृति ही नहीं विचारों का वातावरण भी विषाक्त हो गया है।
मैक्सिम गोर्की की कहानी “सिक्स फिट अंदर ग्राउंड ” का जिक्र किया और मनुष्य की तृष्णा की पराकाष्ठा को समझाया और कहा कि हमारी प्रत्येक समस्या का कारण यही है। उन्होंने आज के समय में गायत्री मंत्र को प्रत्येक समस्या का समाधान बताया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता उप जोनल संयोजन गोरखपुर प्रभाशंकर दुबे ने किया।जिला संयोजक और महाविद्यालय के संयुक्त सचिव डॉ दयाशंकर तिवारी ने स्वागत किया।
आभार ज्ञापन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सिद्धार्थ पाण्डेय ने किया।कार्यक्रम का संचालन डॉ गौरव तिवारी ने किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ निगम मौर्य और व्यवस्था डॉ त्रिभुवन त्रिपाठी ने किया।इस अवसर पर पूर्व प्राचार्य डॉ अमृतांशु कुमार शुक्ल,डॉ सीमा त्रिपाठी,डॉ अनुज कुमार आदि मौजूद रहे।
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