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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 18 Apr 2022 7:21 PM |   440 views

कद्दू वर्गीय सब्जियों मे फल मक्खी से करें बचाव

इस समय कद्दू वर्गीय सब्जियों में फल मक्खियों की समस्या काफी बढ़ जाती है, इस कीट का प्रकोप सर्वाधिक मार्च से सितंबर महीने तक रहता है।इस दौरान सावधानी न रखने से आधे से अधिक फलों को नुकसान हो सकता है। इस कीटों से बचने के लिए किसान रसायनिक कीटनाशी  का प्रयोग अधंधुध करते है। इससे कीट तो  कम मरते हैं, लेकिन मानव स्वास्थ्य  एवं पर्यावरण को काफी नुकसान होता है।

इस बारे में प्रसार्ड  ट्रस्ट मल्हनी देवरिया के निदेशक   प्रोफेसर रविप्रकाश मौर्य (सेवानिवृत्त वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक ) ने  बताया कि फल मक्खी कीट की प्रौढ़ का शरीर लाल भूरे रंग का पंख पारदर्शक एवं चमकदार होता है  जिन पर पीले भूरे सुनहले रंग की धारियां होती हैं ।मादा  मक्खी फल के छिलके में  बारीक छेद कर उसमें अंडे देती है, जिससे फल के छिलके पर छोटे-छोटे बदरंग धब्बे पड़ जाते हैं ,अण्डे से ग्रब्स निकल कर फलों के अन्दर  के गूदे खाकर  क्षति पहुंचाते है। जिससे फल सड़कर असमय ही गिर जाता है।

लौकी, करेला, खीरा, तोरई, कुम्हड़ा, खरबूजा, तरबूज  एवं टिण्डा इत्यादि  सब्जियों को यह मक्खी क्षति पहुँचाती है। फल मक्खी की  समस्या से निजात पाने के लिए  गर्मी मे खेत की गहरी जुताई करनी चाहिये । फ्रूट फ्लाई ट्रैप 10  प्रति एकड़ क्षेत्रफल में  30 -30 मीटर की दूरी पर फसल से डेढ़ फीट की ऊचाई पर लगा दें।

नियमित अंतराल पर खेत में क्षतिग्रस्त फलों को  तोड़ कर नष्ट कर देना चाहिये। प्रलोभन के रूपमे 20 मिली. मैलाथियान 50 ई.सी. + 200 ग्राम गुड़  को 20 लीटर पानी मे घोलकर कुछ चुने हुए पौधों (100पौधे/ एकड़) पर छिड़काव करना चाहिये जिससे प्रौढ़ आकर्षित होकर आते है और मर जाते है। नीम की गिरी 4 किग्रा को बारीक कर 100 लीटर पानी में 12 घंटे भिगोकर डंडे से  हिलाकर महीन कपडे़ से छानकर प्रति एकड़ में छिड़काव करें।  कीट प्रबंधन हेतु फेरोमोन ट्रेप, जैविक कीटनाशी का ही प्रयोग करें।

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