Sunday 14th of December 2025 01:14:45 PM

Breaking News
  • गंभीर स्थिति में पहुंची दिल्ली की वायुगुणवत्ता ,CAQM ने लगाया GRAP4|
  • पिता नही माँ की जाति पर प्रमाण पत्र ,CJI सूर्यकांत के फैसले ने बदल दी सदियों पुरानी परम्परा |
  • इंडिगो पर GST को लेकर लगभग 59 करोड़ रु का जुर्माना ,कम्पनी आदेश को देगी चुनौती |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 6 Oct 2021 6:07 PM |   959 views

पंचशील आदर्श जीवन का आधार

शरीर में जो स्थान हृदय का होता है बुद्धिज्म में पंचशील का वही स्थान है। जैसे बिना धड़कन के शरीर की कोई उपयोगिता नहीं है, वैसे ही पंचशील के बिना बुद्धिज्म निष्प्रयोज्य ही साबित होगा। अतः बुद्धिज्म में प्राण प्रतिष्ठा की स्थापना और उसे गतिशील बनाने के लिए पंचशील का पालन अति आवश्यक है। पंचशील खुशहाल जीवन का एक ऐसा मन्त्र है जिसका चिन्तन,मनन और आचरण साधारण व्यक्ति को भी आदर्श व प्रभावशाली बना देता है। पंचशील कोई पूजा,आराधना या उपासना नहीं है।

यह तो एक आदर्श जीवन जीने की एक आदर्श पद्धति है। इस जीवन शैली को संसार के सभी मनुष्यों पर समान रूप से प्रभाव डालकर एक स्वस्थ व स्वच्छ समाज के निर्माण में पूर्णतया कारगर सिद्ध होगा। आवश्यकता है बस इसे अपनाने की। तथागत बुद्ध के बताए नियम संसार के सभी मनुष्यों पर समान रूप से प्रभावी हैं।

अपने इन्हीं नियमों की वजह से बुद्धिज्म विश्वव्यापी धम्म और बुद्ध विश्व गुरू के रूप में जाने जाते हैं। पंचशील का पालन करके आप भी सांसारिक बाधाओं से मुक्ति पाकर अपने जीवन को सुखी तथा समृद्ध बना सकते हैं ।

पंचशील –
 
1)  पाणातिपाता वेरमणी सिक्खापदं समादियामी ।
 
(मैं अकारण प्राणी हिंसा न करने की शपथ ग्रहण करता हूँ ।)
 
2) अदिन्नादाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामी ।
 
(मैं बिना पूर्व स्वीकृति के किसी की कोई वस्तु न लेने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ ।)
 
3) कामेसु मिच्छाचारा वेरमणी सिक्खापदं समादियामि ।
 
(मैं व्यभिचार न करने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ ।)
 
4) मुसावादा वेरमणी सिक्खापदं समादिया़मि ।
 
(मैं झूठ बोलने ,बकवास करने ,चुगली करने से विरत रहने की शिक्षा लेता हूँ ।)
 
5) सुरामेरयमज्ज पमादट्ठाना वेरमणी सिक्खापदं समादियामी ।
 
(मैं कच्ची व पक्की शराब ,मादक द्रव्यों के सेवन ,प्रमाद के स्थान (जुआंआदि )से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ ।)
 
Facebook Comments