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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 4 Jul 3:25 PM |   667 views

फल की तुड़ाई के उपरांत आम की बगिया का कैसे करे प्रबंधन ?

बलिया -आम की खेती का  लाभ  मुख्य रूप से समय पर बाग में किये जाने वाले विभिन्न कृषि कार्यो पर निर्भर करता है। समय से  कृषि कार्य या गतिविधियाँ   न करने  से बागवान को भारी नुकसान हो सकता  है जो  लाभहीन उद्यम हो कर रह जाता है। 
 
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र बलिया के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि बागवान आम तोड़ाई कर बेच कर / स्वयं आम खाकर कर अक्सर आम की   बगियाँ को भूल जाते है कि उसके लिये भी कुछ करना है या नही जिसने मीठे फल दिया। याद रखे जब  फल की तुड़ाई के बाद से लेकर मंजर आने तक क्या- क्या  किया जाना चाहिए? इन सिफारिशों को जब अपनायेगे तो  निश्चित रूप से  उत्पादों की उत्पादकता, गुणवत्ता के साथ-साथ शुद्ध रिटर्न में वृद्धि करने में मदद मिलेगी।
 
गहरी जुताई एवं उर्वरक– फलों की तुड़ाई के बाद बाग की अच्छी तरह से गहरी  जुताई करनी चाहिए।इसके बाद बाग  से खरपतवार निकाल दे। उसके  बाद 10 वर्ष या 10 वर्ष से बड़े आम के पेड़ों के लिए यूरिया  2.20किग्रा. , सिंगल सुपर फॉस्फोरस 3.12 किग्रा.  और म्यूरेट आफ पोटाश 1.73 किग्रा.  प्रति पेड़ देना चाहिए। इसी के साथ 80 से 100 किग्रा खूब अच्छी तरह से सड़ी गोबर या कम्पोस्ट खाद भी देना चाहिए । खाद एवं उर्वरक देने के लिए पेड़ के मुख्य तने से 2 मीटर  की दूरी पर 25 सेमी चौड़ा एवं 25 सेमी, गहरा रिंग पेड़ के चारों तरफ खोद दे।  इसके बाद आधी मिट्टी निकाल कर अलग करने के बाद उसमें सभी खाद एवं उर्वरक मिलाने के बाद उसे रिंग में भर देते है , इसके बाद शेष  बची हुई मिट्टी  से रिंग को भर देते है , तत्पश्चात सिंचाई कर देना चाहिए  ।
 
कीट प्रबंधन-  जहाँ नमी ज्यादा होती है वहाँ  शूट गाल कीट  की एक विकट समस्या है। इस कीट के नियंत्रण के लिए जुलाई –अगस्त का महीना बहुत महत्वपूर्ण है। अगस्त के मध्य में डाइमेथोएट 30 ई.सी.  2 मिली लीटर को प्रति  लीटर पानी मे घोल कर  छिड़काव करें। बाग में मकड़ी के जाले को साफ करते रहना  चाहिए और सूखा प्रभावित हिस्से को काटकर जला देना चाहिए। 
 
रोग प्रबंधन- अधिक वर्षा एवं नमी ज्यादा होने की वजह से लाल जंग रोग (रेड रुस्ट ) और एन्थ्रेक्नोज रोग ज्यादा देखने को मिलता है इसके नियंत्रण के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3ग्राम /लीटर पानी का छिड़काव करें।सितंबर के महीने में डाइमेथोएट (2मिली लीटर दवा /लीटर पानी ) का दूबारा छिड़काव करें।अक्टूबर के महीने के दौरान डाई-बैक रोग के लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। इस रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है की जहा तक टहनी सुख गई है उसके आगे 5-10 सेमी हरे हिस्से तक टहनी की कटाई-छंटाई करके उसी दिन कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3ग्राम /लीटर पानी) का छिड़काव करें तथा 10-15 दिन के अंतराल पर एक छिड़काव पुनः करें ।
 
आम के पेड़ से गोद निकलने की भी एक बड़ी समस्या है, इसके नियंत्रण के लिए सतह को साफ करें और प्रभावित हिस्से पर बोर्डो पेस्ट लगाएं या प्रति पेड़ 200-400 ग्राम कॉपर सल्फेट पेड़ के उम्र के हिसाब से  जड़ के चारों तरफ  डालना उपयोगी होता है।  अक्टूबर – नवंबर महीने के दौरान डाई-बैक लक्षण आम  मे दिखाई देने लगता  हैं। इसलिए, 5-10 सेंटीमीटर हरे भाग में मृत लकड़ियों की छंटाई की सलाह दी जाती है और आम के पेड़ों को सूखने /मरने से बचाने के लिए 15 दिनों के अंतराल पर कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3ग्राम /लीटर पानी) का दो बार छिड़काव किया जाता है।  दिसम्बर माह में बाग की हल्की जुताई करें और बाग से खरपतवार निकाल दें।
 
इस महीने के अंत तक मिली बाग के नियंत्रण के लिए आम के पेड़ की बैंडिंग की व्यवस्था करें, 25-30 सेमी की चौड़ाई वाली एक अल्केथेन शीट (400 गेज) को 30-40 सेमी की ऊंचाई पर पेड़ के तने के चारों ओर लपेटा जाना चाहिए। इस शीट के दोनों छोर पर बांधा जाना चाहिए और पेड़ पर चढ़ने के लिए मीली बग कीट को रोकने के लिए नीचले सिरे पर ग्रीस लगाया जाना चाहिए।  दिसम्बर माह में छाल खाने वाले और मुख्य तने में छेद (ट्रंक बोरिंग) कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता  है। पहले छेदों को पहचानें और उसको साफ करें और इन छेदों में डाइक्लोरवोस  (1मिली लीटर दवा /2 लीटर पानी) का इन्जेक्शन लगाएं। कीटनाशक डालने के बाद इन छिद्रों को वैक्स या गीली मिट्टी से बंद (प्लग) कर देना चाहिए।
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