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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 26 Jan 2021 1:16 PM |   550 views

72 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया पर ध्वजारोहण किया गया

बलिया -72 वें गणतंत्र  दिवस के अवसर पर आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित  कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया परिसर मे केन्द्र के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य द्वारा राष्ट्रीय  ध्वजारोहण  किया गया।

 प्रो. मौर्य ने इस अवसर पर  बताया कि  आजादी के बाद विभिन्न क्षेत्रों मे  तरक्की के साथ -साथ कृषि मे भी शिक्षा, शोध में बढोतरी हुई ।  शोध किये गये तकनीकियों का प्रचार प्रसार होने से नई तकनीकियों  को किसानों ने अपनाया जिससें  हम खाद्यान्न, सब्जी, फल, दूध . मत्स्य, आदि पर आत्म निर्भर हो सके।

मशरूम  उत्पादन , मधुमक्खी पालन कर रहे है। जहाँ पहले भुखमरी हुआ करती थी। आज सभी को भरपेट खाना मिल रहा है। जहाँ कृषि कार्य मे खेत की तैयारी से लेकर कटाई  तक हाथों से किया जाता था, मड़ाई बैलों से की जाती  थी। काफी समय लगता था , आज  मशीनीकरण का युग  होने से कम खर्च एवं कम समय मे  बुआई से लेकर मड़ाई तक का  कार्य मशीन से  हो जा रहा है।

आज कीटों व रोगों   की प्रबंधन के आधुनिक तरीकें आ गये है ,बिना कीटनाशकों के छिड़काव के फोरोमोन   ट्रेप से कीट नियंत्रण कर सकते है। अब बर्षा की भविष्य वाणी पहले ही हो जा रही है। कब वर्षा होगी किन किंन क्षेत्रो मे होगी। 

मोबाइल, इण्टरनेट, विभिन्न एप के माध्यम से कृषि सम्बंधित सभी जानकारियाँ उपलब्ध हो रही  है।  प्रो. मौर्य ने बताया कि  जब  देश स्वतंत्र हुआ तो  खाद्यान्न की पूर्ति हेतु अमेरिका से लार्मा गेहूँ  व मक्का  मगाया गया   जाता था , जो उस देश के सुअरों को खिलाने मे प्रयोग होता था। गेहूँ , मक्का दोनों की रोटियां कड़ी  होती थी। 

स्वतंत्रता के कुछ समय बाद  ,विभिन्न कृषि विश्वविद्यालय ,  कृषि शोध संस्थान, कृषि विज्ञान  केन्द्र, कृषि उद्योग खुले जिससे हरित  क्रांति का जन्म  हुआ। आज हम हर मामले मे आत्म निर्भर है। पूर्वांचल के कृषि विकास के लिये  सन् 1975 में  आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या की स्थापना हुई। जिसके द्वारा अभी तक 181 विभिन्न  फसलों की प्रजातियां विकसित की गई है।  जिसमें कहा जाता है बेल.आँवला, धान ,यह है नरेन्द्र देव  विश्वविद्यालय की शान ।।

यह विश्वविद्यालय , 25 कृषि विज्ञान केन्द्रों. 4 कृषि ज्ञान केन्द्रों, 8 महाविद्यालयों, एवं 6 शोध केन्द्रों के माध्यम से पूर्वांचल के 26 जनपदों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है |

कोरोना काल में   कृषकों ,कृषि वैज्ञानिकों का काफी योगदान रहा है। जिस समय सभी उधोग धन्धे बन्द थे ,उस समय कृषि का कार्य जारी रहा। इस  अवसर पर केन्द्र के सभी वैज्ञानिक एवं कर्मचारी  मौजूद रहे।

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