विश्व की 70 प्रतिशत कृषि कीट-पतंगों पर निर्भर- मौर्य
बलिया / सोहाव – जो भी फल, सब्जियां या अनाज खाते हैं उसमें परागण की प्रक्रिया का खास योगदान मधुमक्खियों का है। मधुमक्खियां पेड़ पौधों के पराग कणों को एक पौधों से दूसरे पौधों तक पहुंचाने में मदद करती हैं। जब मधुमक्खी किसी एक फूल पर बैठती है तो उसके पैरों और पंखों में पराग कण चिपक जाते हैं और जब यह उड़कर किसी दूसरे पौधे पर बैठती है, तब यह पराग कण उस पौधे में चले जाते हैं और उसे निषेचित कर देते हैं इससे फल और बीजों की उत्पत्ति होती है।
मानवीय गतिविधियों के कारण परागण वाले कीट पतंगों का जीवन खतरे में है। उनके महत्व और सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया जाता है। यह खास दिवस आधुनिक मधुमक्खी पालन की तकनीक का नेतृत्व करने वाले एंटोन जनसा के जन्म दिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधोगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि विश्व की 70 प्रतिशत कृषि कीट-पतंगों पर निर्भर है।
ऐसे में हम कह सकते हैं कि 100 में से 70 खाद्य पदार्थ में मधुमक्खियों का हस्ताक्षेप रहता है।मधुमक्खी एक ऐसी कीट है जो किसी भी तरह की रोगजनक बैक्टीरिया या वायरस नहीं छोड़ती है। ऐसा कभी देखने को नहीं मिलता की मधुमक्खी के संपर्क में आने से व्यक्ति को कोई बीमारी हो जाए। कोराना वायरस से बचते हुए मधुमक्खियों को गर्मी के मौसम मे बिशेष ध्यान दे। हाथ को 20 सेकेंड तक साबुन से धोने के बाद माक्स लगाये उसके बाद बाक्स काफी छायादार बगान मे सायं काल रखे। जहां धूप न हो। पीने के लिये स्वच्छ पानी रखना चाहिये। जहाँ पराग हेतु फूल न हो वहा चीनी का घोल बनाकर कटोरी मे रखकर बाक्स मे रख दे। बाक्स के पाये के नीचे कटोरी मे पानी भर कर रख दे जिससे चीटियां बाक्स मे जाकर नुकसान न करे।
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