सफल खेती का मूल मंत्र मिश्रित खेती
हर मौसम में मिश्रित फसल लेना ही सफल खेती की परिभाषा है |कोई भी एक फसल वो फायदा न ख़ुशी देती है जो संग -संग मिलकर लगी फसल |इससे किसान की खेती कौशल अपने ही बीच के किसानो द्वारा सराहा जाता है और खुद ही लागत कम होती है ,साथ ही कुछ फसलें दूसरी फसल से कीड़े बीमारी आकर्षित करने में सहयोग करती हैं |समय -समय होने वाली संगोष्ठियों और किसान मेले संग किसान वैज्ञानिक संवाद आदि सभाओ में ऐसे किसानो को प्रोत्साहित किया जाता है और एक रोल माडल के रूप में सराहा जाता है |
किसान भाई अपने विवेक और स्थान विशेष के अनुसार समय और स्थान का सही सदुपयोग कर सकतें हैं |बल्कि इस तरह से मौसम विपरीत फसल भी सुविधापूर्वक अपनायी जा सकती है |उदाहरण के तौर पर ज्यादा दूरी वाले फसल के बीच जल्द तैयार होने वाली फसल एक उपज दे जाती है और स्थान का सही उपयोग हो जाता है |जब तक मुख्य फसल के बढ़ने पैदावार का समय हुआ तब तक अतिरिक्त उपज वाली फसल आ गयी और उसके लिए विशेष रूप से अलग खेत की जुताई ,सिचाई एवं खाद का खर्च नही करना पड़ता है |जिस प्रकार जरा से अतिरिक्त श्रमिक लागत और प्रबंधन पर ही ये फसल अपनी उपज दे गयी |इसके अतिरिक्त अगर कम दिन वाली फसल न चुनी गयी हो तो समान समय में ऐसे फसले किसान को मौसम या एनी कारणों से सिर्फ एक ही तरफ से मात खाने से बचा सकती है |
वैज्ञानिक शोधो में ये साबित हुआ है कि एकल फसल चुनाव करने और मिश्रित फसल में लागत प्रति इकाई अपेक्षाकृत बढ़ी ( बीज और श्रम की वजह से ) प्रति इकाई क्षेत्र में उत्पादन ,लाभ व्यय का प्रतिशत और कुल लाभ में परस्पर बढ़ोतरी पाई गयी |
सावधानी –
1 – कभी भी गहरी या उथली जड़ वाली फसल के साथ उसी तरह की जड वाली फसल न चुने |
2 – कम पानी वाली फसल के साथ ज्यादा पानी वाली फसल न चुने |
3 – कम प्रकाश चाहने वाली फसल और ज्यादा प्रकाश चाहने वाली फसलो का सामंजस्य | सूर्य के प्रकाश की दिशा स्थिति को ध्यान रखते हुए लगाये |
1 – बैगन बीच मूली या पालक की फसल |
2 – मक्के ,करेले की मचान बीच हरे धनिये की फसल |
3 – गन्ने बीच लहसुन , प्याज की फसल |
4 – मक्के संग उर्द ,मूंग ,लोबिया की फसल |
5 – सरसों सूर्यमुखी संग गेंहू , जौ की फसल |
6 – केले ,पपीते जैसे फलदार पेड़ो बीच मिर्च , गेंदे , मटर की खेती |
डॉ शुभम कुलश्रेष्ठ ,असिस्टेंट प्रो . रविन्द्र नाथ टैगोर यूनिवर्सिटी रायसेन , भोपाल , मध्य प्रदेश