सूरज मेरा हो जायेगा
क्या खबर थी ये किसी को ,हादसा हो जायेगा
पास वो होगा मेरे ,और जुदा हो जायेगा
सजदे में सर झुक गया था ,जिसके मेरा उम्र भर
क्या खबर थी वो किसी का ,ना खुदा हो जायेगा
मुझको अपना कहने वाला , बदलेगा कुछ इस तरह
शान शौकत पर रकीबो की फ़िदा हो जायेगा
वो चुरा कर ले गया ,सारे दीये घर के मेरे
बेखबर को क्या खबर सूरज मेरा हो जायेगा
वो मेरी गजलों का एक दिन , करने सौदा आ गया
मैंने कब सोचा था वो इतना बड़ा हो जायेगा
मोम की तरह पिघल कर क्या मिला सागर तुम्हे
तुमने सोचा भी नही वो बेवफा हो जायेगा |
( डॉ नरेश सागर , हापुड़ )
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