ग़ज़ल (मधु शंखधर स्वतंत्र , प्रयागराज )
तुम्हारे साथ से प्यारा कोई माना नही है
खुली आँखों से देखू ख्वाब तो दिखते सनम तुम |
बंद आँखों से भी एहसास वो जाता नही है
मेरी साँसों में बसते तुम सनम अब जान बनकर |
मुझे तो साँस का रुकना भी अब भाता नही हैं
कहाँ ढूढू मैं वो पल जो हमारे खो गये अब |
बताएं क्या उसे हमने कहाँ ढूढा नही हैं
तुम्हारे बिन नही प्यारा मधु को ये सफ़र है
मिले कोई भी जन्नत बिन तेरे जाना नही है |
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