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By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 9 Jun 2022 6:33 PM |   507 views

निपुण भारत मिशन कार्यशाला का हुआ आयोजन

कुशीनगर-निपुण भारत मिशन कार्यशाला का आयोजन कलेक्ट्रेट सभागार में हुआ। कार्यशाला की अध्यक्षता जिलाधिकारी एस0 राजलिंगम ने की। उक्त कार्यशाला में  सरल ऐप, मिशन प्रेरणा फ्रेमवर्क, निपुण भारत मॉनिटरिंग सेंटर इत्यादि के संदर्भ में जानकारी दी गई।
 
कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि  बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए। शिक्षण को योजनाबद्ध  तरीके से ज्यादा  प्रदान किया जाना चाहिए जिसके प्रभावी परिणाम देखने को मिले।
 
उन्होंने कहा कि विद्यालय के हर वर्ग में मेधावी बच्चे 15 से 20% मिल ही जाते हैं, और शिक्षा इन्हीं तक सीमित रह जाती है। बचे हुए 80% बच्चे जो कि औसत या औसत से नीचे होते हैं उन बच्चों  के  मानक को बढ़ाया जाना चाहिए यह बहुत बड़ी चुनौती है। 
 
डी एम ने कहा कि सिर्फ पढ़ाना ही जरूरी नहीं बल्कि आकलन भी जरूरी है। अपने प्रभाव का महत्तम परिणाम कैसे लेना है ? आप पर निर्भर करता है।
 
तकनीक के बारे में बोलते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि कोविड काल ने लोगो को तकनीक के काफी करीब ला दिया है। आज व्हाट्सएप, यु ट्यूब, ज़ूम आदि  लोगों के लिए अछूता नहीं है। इसलिए तकनीक के प्रति लोगों में जागरूकता ज्यादा है। हम उसका कैसे फायदा उठा सकते हैं? कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं ? यह हमें सोचना है।
 
उन्होंने कहा कि हमें शिक्षण के माध्यम में परंपरागत तकनीकों के साथ-साथ नई तकनीकों का भी समावेश करना चाहिए। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि बच्चे वर्ग में शिक्षण की परंपरागत तकनीक में ज्यादा रुचि नही लेते हैं इसके लिए उन्हें ऑडियो और विजुअल  माध्यम से भी पढ़ाया जाए तो उनका विषय के प्रति अटेंशन बढ़ता है।
 
उन्होनें कहा कि आज भी लोगों में शिक्षकों के प्रति सम्मानजनक अवधारणा है। प्राथमिक स्तर पर शिक्षित करने हेतु आस पास के शिक्षित लोगो को वॉलिंटियर्स के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं । उन्होंने कहा कि शिक्षक भविष्य का निर्माण कर रहे हैं। यह एक दीर्घकालीन प्रक्रिया है।
 
उन्होंने कहा कि कुछ बच्चों को विषय में रुचि इसलिए आती है क्योंकि शिक्षक काफी प्रभावी तरीके से उस विषय को पढ़ाते है। उन्होंने कहा कि देश की तरक्की और राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की अहम भूमिका है। हमें परिवर्तन व नई तकनीक को आत्मसात करने की सोच होनी चाहिए। शिक्षा को प्रतियोगात्मक बनाया जाना चाहिए, क्रिएटिविटी पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। 
 
इस अवसर पर एडी बेसिक सत्य प्रकाश त्रिपाठी, जिला पंचायती राज अधिकारी अभय यादव, जिला कार्यक्रम अधिकारी शैलेंद्र राय व शिक्षा विभाग के अन्य लोग उपस्थित रहे।
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