Saturday 20th of September 2025 09:52:41 AM

Breaking News
  • करण जौहर को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत ,बिना परमिशन तस्वीर या आवाज़ के इस्तेमाल पर रोक |
  • ऑनलाइन गेमिंग कानून एक अक्टूबर से होगा लागू – वैष्णव |
  • शिवकाशी में नए डिज़ाइन के पटाखों की मांग ,दिवाली से पहले ही कारोबार में चमक की उम्मीद |
Facebook Comments
By : Nishpaksh Pratinidhi | Published Date : 17 May 5:20 PM |   750 views

कम अवधि मे पपीते की खेती कैसे करे ?

बलिया -पपीता सबसे कम समय में फल देने वाला पौधा है इसलिए कोई भी इसे लगाना पसंद करता है, पपीता न केवल सरलता से उगाया जाने वाला फल है, बल्कि जल्‍दी लाभ देने वाला फल भी है, यह स्‍वास्‍थवर्धक तथा लोक प्रिय है, इसी से इसे अमृत फल भी कहा जाता है, पपीता में कई पाचक इन्‍जाइम भी पाये जाते है तथा इसके ताजे फलों को सेवन करने से लम्‍बी कब्‍जियत की बीमारी भी दूर की जा सकती है।
 
आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौधोगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र सोहाँव बलिया के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि पपीते की अच्‍छी खेती गर्म नमी युक्‍त जलवायु में की जा सकती है। इसे अधिकतम 38 डिग्री सेल्सियस से 44 डिग्री सेल्सियस तक तापमान होने पर उगाया जा सकता है, न्‍यूनतम 5 डिग्री सेल्सियस से कम नही होना चाहिए, लू तथा पाले से पपीते को बहुत नुकसान होता है। इनसे बचने के लिए खेत के उत्‍तरी पश्चिम में हवा रोधक वृक्ष लगाना चाहिए ।पाला पड़ने की आशंका हो तो खेत में रात्रि के अंतिम पहर में धुंआ करके एवं सिचाई भी  करते रहना चाहिए। 
 
भूमि एवं  रोपाई- जमीन उपजाऊ हो तथा जिसमें जल निकास अच्‍छा हो तो पपीते की खेती उत्‍तम होती है। खेत को अच्‍छी तरह जोत कर समतल बनाना चाहिए तथा भूमि का हल्‍का ढाल उत्‍तम है।
 
गढ्ढे तैयार करना–  माह मई में 2 X 2 मीटर की  दूरी पर 50 सेमी लम्‍बा, 50सेमी चौड़ा, 50 सेमी गहरा गढ्ढा बनाना चाहिए,। इन गढ्ढों में  एक माह  बाद 10 किलों गोबर की सड़ी  खाद, एक किग्रा नीम की खली अच्छी मिट्टी में मिला  कर 15 सेमी ऊंचाई तक भर देना चाहिए।
 
पपीते की उन्नत किस्‍में-
 
रेड लेडी,पूसा मेजस्‍टी , पूसा जाइंट, वाशिंगटन, हनीड्यू, , पूसा ड्वार्फ, पूसा डेलीसियस, , पूसा नन्‍हा  एवं ताईवान  आदि प्रमुख किस्‍में है।
 
बीज दर –
 
एक हेक्‍टेयर के लिए 500 ग्राम से एक किलो बीज की आवश्‍यकता होती है, एक हेक्‍टेयर खेत में प्रति गढ्ढे 3 पौधे लगाने पर 7500 हजार पौध संख्‍या लगेगी। एक ग्राम मे लगभग 20 बीजों की संख्या होती है। 
 
लगाने का समय एवं तरीका –
 
पपीते के पौधे  की पहले नर्सरी तैयार किये जाते है, इसके लिए 15 सेमी ऊँची क्यारियों में 15-15 सेमीं की दूरी पर बीजों की बुआई माह जुलाई में करें। जब पौधे  25 सेमी. के हो जाय तो   पहले से तैयार किये गये प्रत्येक गढ्ढे मे 3-3 पौधें  त्रिभुजाकार  माह  सितम्‍बर  में लगायें।
 
नर पौधों को अलग करना –
 
पपीते के पौधे 90 से 100 दिन के अन्‍दर फूलने लगते है तथा नर फूल छोटे-छोटे गुच्‍छों में लम्‍बे डंढल युक्‍त होते है। नर पौधों पर पुष्‍प 1 से 1.3 मी. के लम्‍बे तने पर झूलते हुए तथा छोटे होते है। प्रति 100 मादा पौधों के लिए 5 से 10 नर पौधे छोड़ कर शेष नर पौधों को उखाड़ देना चाहिए। मादा पुष्‍प पीले रंग के 2.5 से.मी. लम्‍बे तथा तने के नजदीक होते है।
 
निंराई, गुडाई तथा सिंचाई –
 
गर्मी में 4 से 7 दिन तथा ठण्‍ड में 10 से 15 दिन के अंतर पर सिंचाई करना चाहिए, पाले की चेतावनी पर तुरंत सिंचाई करें, तीसरी सिंचाई के बाद निंदाई गुड़ाई करें। जड़ों तथा तने को नुकसान न हो।
 
फलो को तोडना – 
 
पौधे लगाने के 9 से 10 माह बाद फल तोड़ने लायक हो जाते है। फलों का रंग गहरा हरे रंग से बदलकर हल्‍का पीला होने लगता है तथा फलों पर नाखुन लगने से दूध की जगह पानी तथा तरल निकलता हो तो समझना चाहिए कि फल पक गया होगा। फलों को सावधानी से तोडना चाहिए। 
 
उपज तथा आर्थिक लाभ –
प्रति हेक्‍टर पपीते का उत्‍पादन 350-400 कुन्टल  होता है। यदि 1500 रू./  कुन्टल  भी कीमत मिले  तो किसानों को प्रति हेक्‍टर 3,40000.00 रू. का शुद्ध लाभ प्राप्त हो सकता है।
Facebook Comments