पोषण वाटिका ग्रामीण परिवारों की पोषण सुरक्षा का सशक्त माध्यम — डॉ. मांधाता
भाटपाररानी -भाकृअनुप–भारतीय सब्ज़ी अनुसंधान संस्थान, कृषि विज्ञान केंद्र, मल्हना (देवरिया) द्वारा अनुसूचित जाति उप-योजना के अंतर्गत आयोजित ‘पोषण वाटिका स्थापना एवं प्रबंधन’ विषय पर पाँच दिवसीय कौशल विकास प्रशिक्षण का समापन आज केवीके सभागार में सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। समापन सत्र को संबोधित करते हुए केवीके अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. मांधाता सिंह ने कहा कि “पोषण वाटिका ग्रामीण परिवारों की पोषण सुरक्षा का सबसे सशक्त और स्थायी माध्यम है।
सही सब्ज़ी नियोजन, जैविक खाद और प्राकृतिक कीटनाशकों के उपयोग से परिवार वर्षभर पौष्टिक एवं सुरक्षित सब्ज़ियाँ प्राप्त कर सकता है।” उन्होंने वैज्ञानिक खेती और घरेलू स्तर पर जैविक संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम में डॉ. कमलेश मीणा (सस्य विज्ञान विशेषज्ञ) ने मौसमी सब्ज़ियों के चयन, फसल-अनुक्रम और वैज्ञानिक रोग-कीट प्रबंधन पर चर्चा की।
प्रशिक्षण के संयोजक जय कुमार, विशेषज्ञ गृह विज्ञान ने प्रतिभागियों को पोषण वाटिका की स्थापना, जैविक खाद निर्माण, वर्मी कम्पोस्ट गड्ढा तैयारी, किचन वेस्ट प्रबंधन और प्राकृतिक कीटनाशक तैयार करने की तकनीकों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया।
डॉ. अंकुर शर्मा (पशु जैव प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ) ने बताया कि गौ-आधारित जैविक सामग्री पोषण वाटिका को पूरी तरह जैविक एवं अधिक उत्पादनक्षम बनाती है। पाँच दिवसीय प्रशिक्षण में 25 कृषक पुरुष एवं महिलाओं ने भाग लिया।
समापन अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए तथा पपीता, मोरिंगा, बैंगन, टमाटर, मिर्च, फूलगोभी के पौधे, वर्मी कम्पोस्ट, किचन गार्डन बीज पैकेट वितरित किए गए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य जाति के कृषकों को पोषण सुरक्षा, जैविक खेती और वैज्ञानिक कृषि-कौशल के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाना है।

