बिरसा मुंडा की जयंती के अवसर पर 600 जनजाति कलाकार अपनी रंगारंग प्रस्तुतियां देंगे
लखनऊ: प्रदेश के कैबिनेट मंत्री पर्यटन एवं संस्कृति जयवीर सिंह एवं समाज कल्याण मंत्री असीम अरूण ने लोकभवन में आज संयुक्त प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए लोकनायक बिरसा मुण्डा की 150वीं जयंती के अवसर पर जनजाति गौरव दिवस के अंतर्गत आयेाजित की जाने वाली विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी।
जयवीर सिंह ने कहा कि भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति में हमारी जनजाति समुदाय का अतुलनीय योगदान है। बिरसा मुण्डा को जनजाति समुदाय भगवान की तरह सम्मान देता है। इसलिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 2022 लोकनायक बिरसा मुण्डा की जयंती को जनजाति गौरव दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि जनजाति गौरव दिवस से अवसर पर 13 से 18 नवम्बर 2025 तक राष्ट्रीय जनजाति भागीदारी उत्सव का आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान, गोमती नगर के परिसर में किया जा रहा है। इसी क्रम में 15 नवंबर, 2025 को जनपद सोनभद्र में मुख्यमंत्री उ0प्र0 की मौजूदगी में एक वृहद कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वर्चुअली जुड़े रहेंगे।
उन्होंने बताया कि यह उत्सव “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” की भावना को जनजातीय संस्कृति के माध्यम से सशक्त बनाने का एक सशक्त प्रयास है। इस आयोजन में प्रदेश और देश के विभिन्न अंचलों की जनजातियों की भाषाई, सांस्कृतिक, पारंपरिक और सामाजिक विविधताओं का संगम देखने को मिलेगा। जनजातीय भाषाओं की मधुरता, लोकगीतों की आत्मीयता, और पारंपरिक वेशभूषा की रंगीनता इस उत्सव को अनूठी पहचान प्रदान करेगी।
यह आयोजन केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की सामासिक संस्कृति का जीवंत प्रतीक होगा, जहाँ विभिन्न जनजातियों के रहन-सहन, परंपरागत शिल्प, लोककला, लोकसंगीत, और खानपान की विशिष्टता एक मंच पर प्रदर्शित की जाएगी। जनजातीय समाज की वन संस्कृति, प्रकृति के प्रति आस्था, सामाजिक सहयोग की परंपरा और आत्मनिर्भर जीवनशैली इस आयोजन की आत्मा होगी।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि इस उत्सव में अरुणाचल प्रदेश भागीदार राज्य के रूप में सम्मिलित रहेगा, जबकि 18 राज्यों के लगभग 600 ख्याति प्राप्त जनजातीय कलाकार अपने पारंपरिक नृत्य, गीत और वाद्य प्रस्तुतियों के माध्यम से देश की सांस्कृतिक एकता का संदेश देंगे। उत्सव के दौरान पारंपरिक व्यंजन, जनजातीय हस्तशिल्प, हथकरघा उत्पाद, लोक चित्रकला और जनजातीय आभूषणों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रहेगी।
प्रेस प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण कहा कि यह उत्सव प्रदेश की विभिन्न जनजातियों के विकास और सम्मान का उत्सव है। उन्होंने कहा कि जनजातीय समाज भारत की सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग है, जनजातीय समुदाय की भाषाएं, वेशभूषा, जीवनदर्शन और सामूहिक जीवनशैली हमारी राष्ट्रीय एकता को और सुदृढ़ करती हैं। यह आयोजन न केवल जनजातीय गौरव का परिचायक होगा, बल्कि उनके आर्थिक सशक्तिकरण, सामाजिक सहभागिता और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक मील का पत्थर सिद्ध होगा।
कार्यक्रम में जनजातीय पारंपरिक खेल, लोककला कार्यशालाएं, कहानी कथन सत्र (फोक टेल्स), वन उत्पाद प्रदर्शन, और क्षेत्रीय व्यंजन प्रतियोगिता जैसी विविध गतिविधियाँ भी आयोजित की जाएंगी। इसके अतिरिक्त, जनजातीय युवाओं की भागीदारी से आधुनिकता और परंपरा का समन्वय प्रस्तुत किया जाएगा।
समाज कल्याण मंत्री ने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे इस ऐतिहासिक “जनजाति भागीदारी उत्सव” में बड़ी संख्या में सम्मिलित होकर जनजातीय गौरव, भाषाई विविधता और सांस्कृतिक एकता के इस पर्व को सफल बनाएं।
इस मौके पर निदेशक समाज कल्याण, कुमार प्रशांत, निदेशक, लोककला जनजाति संस्कृति संस्थान अतुल द्विवेदी तथा संस्कृति एवं समाज कल्याण विभाग के अन्य अधिकारी मौजूद थे।
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