लहसुन की खेती

मिट्टी और खेत की तैयारी
मिट्टी का प्रकार:
लहसुन की खेती के लिए जीवांशयुक्त, हल्की दोमट से बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है, जिसमें जल निकासी अच्छी हो।
सिंचाई की व्यवस्था:
खेत में जल निकासी का उचित प्रबंध होना चाहिए क्योंकि लहसुन को अधिक पानी पसंद नहीं होता है।
खाद डालना:
खेत की 2-3 बार जुताई करके भुरभुरी बनाएं और आखिरी जुताई से पहले प्रति हेक्टेयर 15-20 टन गोबर की सड़ी खाद मिलाएं।
बीज का चयन और बुवाई
बीज का चुनाव:
स्वस्थ और स्वस्थ कंदों से सबसे बड़ी, सबसे मजबूत कलियों का ही चयन करें।
बीज उपचार:
बुवाई से 24 घंटे पहले प्रति किलोग्राम बीज दर से 2.5 ग्राम थीरम या बेबिस्टीन से उपचारित करें।
बुवाई का समय:
लहसुन की बुवाई का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से नवंबर माह तक है।
बुवाई की विधि:
कतार से कतार 15-20 सेमी और पौधे से पौधे 8-10 सेमी की दूरी पर लगाएं।
लहसुन की कलियों को 1-2 इंच गहराई में, नुकीला सिरा ऊपर की ओर रखते हुए रोपण करें।
सिंचाई और खरपतवार नियंत्रण
सिंचाई:
बुवाई के तुरंत बाद पहला पानी दें, और फिर फसल के बढ़ने के अनुसार आवश्यकतानुसार सिंचाई करें, लेकिन ध्यान रहे कि खेत में जलभराव न हो।
खरपतवार:
फसल के शुरुआती चरण में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए पैंडीमैथालीन जैसे खरपतवारनाशक का उपयोग कर सकते हैं।
कटाई और उपज
कटाई का समय:
जब लहसुन के पत्तों का निचला भाग पीला पड़ने लगे और सूख जाए, तो कटाई कर लेनी चाहिए।
औसत उपज:
सही तरीके से खेती करने पर प्रति एकड़ 30-50 क्विंटल तक उपज मिल सकती है।
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